जापान के शेयर बाजार में गिरावट
सोमवार, 30 सितंबर 2024 को जापान के शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. जापान का प्रमुख सूचकांक निक्केई इंडेक्स (Nikkei Index) शुरुआती कारोबार में 4% से अधिक गिर गया. यह गिरावट जापान के राजनीतिक परिदृश्य में हुए बदलावों के कारण आई है. जापान की सत्तारूढ़ पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा को देश का नया प्रधानमंत्री चुना है. इशिबा ने मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की जगह ली है, जिन्होंने अपनी गिरती लोकप्रियता के कारण इस्तीफा दे दिया था.
इस राजनीतिक बदलाव के बाद निवेशकों में चिंता का माहौल पैदा हो गया है, क्योंकि बाजार और निवेशक इशिबा की जगह साने ताकाइची, जो आर्थिक सुरक्षा मंत्री हैं, को ज्यादा सकारात्मक रूप में देख रहे थे. ऐसे में जापान के आर्थिक विकास की संभावनाओं पर सवाल उठने लगे हैं, जिससे बाजार में भारी गिरावट आई है.
चीन के शेयर बाजार में तेजी
दूसरी ओर, चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों में तेजी का रुख देखने को मिला है. चीन के प्रमुख सूचकांक शंघाई कंपोजिट (SSE Composite Index) में शुरुआती कारोबार में लगभग 6% की उछाल दर्ज की गई. इसका मुख्य कारण चीनी सरकार द्वारा रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए जारी किए गए राहत पैकेज हैं. इन नीतियों के कारण निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है. पिछले हफ्ते के मुकाबले शंघाई और हांग सेंग इंडेक्स में करीब 13% की बढ़त हुई है.
भारत के शेयर बाजार पर असर
जापान और चीन के शेयर बाजारों में आए इन बदलावों का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है. भारत में प्री-ओपन सेशन में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट दर्ज की गई. प्री-ओपन सेशन में सेंसेक्स 363.09 अंक यानी 0.42% की गिरावट के साथ 85,208.76 पर था, जबकि निफ्टी 117.65 अंक यानी 0.45% की गिरावट के साथ 26,061.30 के स्तर पर कारोबार कर रहा था. बाजार खुलने के बाद भी यह गिरावट जारी रही.
भारत के शेयर बाजार में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में आई हलचल है. जापान के शेयर बाजार में आई गिरावट और चीन की तेजी ने भारतीय निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया है. इसके अलावा, भारतीय बाजारों में घरेलू कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिनमें महंगाई, ब्याज दरों में बदलाव और विदेशी निवेशकों की स्थिति शामिल है.
आगे की संभावनाएं
विश्लेषकों का मानना है कि जापान और चीन के शेयर बाजारों में हो रहे बदलावों का असर भारत के बाजार पर कुछ समय के लिए ही रहेगा. भारतीय अर्थव्यवस्था की आंतरिक स्थिति मजबूत है और निवेशकों का विश्वास बना हुआ है. हालांकि, आने वाले दिनों में अगर वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बनी रहती है, तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखा जा सकता है. भारतीय निवेशकों को इस समय सतर्क रहने और बाजार की गति पर नजर बनाए रखने की सलाह दी जा रही है.
निष्कर्ष
जापान और चीन के शेयर बाजारों में आ रहे ये उतार-चढ़ाव वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं. जहां जापान के राजनीतिक हालात बाजार को कमजोर कर रहे हैं, वहीं चीन की नीतियां बाजार में तेजी ला रही हैं. भारतीय बाजार को भी इन घटनाओं से प्रभावित होना तय है, लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणाम घरेलू आर्थिक कारकों पर निर्भर करेंगे.