Rice Export
Rice Export : केंद्र सरकार ने 2 जुलाई 2023 में चावल की घरेलू आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए और इनकी कीमतों में नियंत्रण रखने के उद्देश्य से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था अब इस प्रतिबंध को हटा दिया गया है जिसका सीधा असर परमल धान के रेटों पर देखने को मिलेगा ,न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार राइस विला के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा कि इस प्रतिबंध को हटाने का भारत का साहसिक फैसला कृषि क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी। है
सरकार ने चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 20% से घटाकर 10% कर दिया है जिसकी वजह से अनाज का भंडारण बढ़ता जा रहा है वहीं अब किसानों की फसले पककर तैयार हो गई है और अब उन्हें इसका उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
Rice Export पर सफ़ेद चावल और ब्राउन राइस में एक्सपोर्ट ड्यूटी
केंद्र सरकार की तरफ से Rice Export पर भी एक्सपोर्ट ड्यूटी को घटा दिया गया है इसके साथ-साथ ब्राउन राइस पर भी एक्सपोर्ट ड्यूटी को घटाया गया है ,ब्राउन राइस पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 10% कर दिया गया है और सफेद चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को घटाकर जीरो कर दिया गया है।
पर्याप्त फसल पककर है तैयार
इस समय किसानों की फसले लगभग पक कर तैयार हो गई हैं ,वहीं सरकारी गोदाम में भी पर्याप्त चावल का भंडारण है, सरकार के द्वारा गैर बासमती सफेद चावल को निर्यात में छूट दे दी गई है वही ब्राउन राइस पर भी निर्यात शुल्क को घटाकर 20 % से 10% कर दिया गया है, इससे पहले गैर बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क 20% लगाया जाता था अब नई दरें 27 सितंबर 2024 से लागू हो गई है जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो सके.
Rice Export पर प्रतिबंध को हटाने से क्या होगा फायदा
गैर बासमती चावल पर निर्यात पर प्रतिबंध को हटाने से चावल की खेती को बढ़ावा मिलेगा ,इस कदम से लगभग 500 से 600 चावल मिलों को फिर से खोले जाने की उम्मीद की जा रही है, वहीं पर पश्चिम बंगाल राइस मिल के, राइस मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार चौधरी ने सरकार के इस कदम को उठाने से लगभग 500 से 600 चावल मिलों को खोलने की उम्मीद जताई है ,बता दें कि जब से चावल में निर्यात पर प्रतिबंध लगा था तब से यह मिले सालों से बंद पड़ी हुई है ,अब निर्यात अब जब चावल की निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया गया है तो किसानों को इसका न्यनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो सकेगा ।