शारदीय नवरात्र 2024: पांचवें दिन बन रहे हैं ‘आयुष्मान’ योग और कई विशेष संयोग

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शारदीय नवरात्र का पर्व पूरे देश में धूमधाम और भक्तिभाव से मनाया जा रहा है. नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, और हर दिन एक विशेष देवी के रूप में उनकी आराधना की जाती है. नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन मां स्कंदमाता की भक्ति से साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है. इसके साथ ही आयुष्मान योग और कई अन्य शुभ संयोग भी इस दिन को और अधिक पवित्र बना रहे हैं.

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स्कंदमाता की महिमा

स्कंदमाता को देवी दुर्गा का पांचवां स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए उन्हें यह नाम दिया गया है. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से साधक को विशेष रूप से संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है. उनकी कृपा से सभी प्रकार के कष्ट और दुख समाप्त हो जाते हैं. भक्तों का विश्वास है कि मां स्कंदमाता की उपासना करने से न केवल सांसारिक जीवन के सुख मिलते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है.

आयुष्मान योग और विशेष संयोग

इस वर्ष, नवरात्र के पांचवें दिन आयुष्मान योग बन रहा है, जो इस दिन की पूजा को और भी मंगलकारी बना रहा है. आयुष्मान योग को बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है. इस योग में किए गए कार्य अत्यधिक फलदायी होते हैं और साधक को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होते हैं.

इस शुभ योग के साथ-साथ इस दिन कई और विशेष संयोग भी बन रहे हैं, जो साधकों के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं. इन विशेष योगों में पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

पूजा विधि और कथा पाठ

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है. सुबह स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं, और फिर मां की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है. मां को पीले रंग के वस्त्र और फूल अर्पित करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि पीला रंग शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

स्कंदमाता की पूजा के दौरान उनकी विशेष कथा का पाठ भी किया जाता है. इस कथा के माध्यम से मां के अद्भुत शक्ति और करुणा की महिमा का बखान होता है. कथा का श्रवण करने से साधक के मन में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है और घर में सुख-शांति का वास होता है.

नवरात्र में व्रत का महत्व

नवरात्र के दौरान व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। स्कंदमाता के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को संयम और भक्ति से पूजा करनी चाहिए. यह व्रत न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है.

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निष्कर्ष

शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन, मां स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है, और इस दिन का महत्व आयुष्मान योग और अन्य शुभ संयोगों के कारण और भी बढ़ जाता है. इस दिन मां की भक्ति से सभी दुखों का अंत होता है और भक्तों को संतान सुख, दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

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