शारदीय नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस धार्मिक अनुष्ठान में छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर उनका पूजन किया जाता है. कन्याओं को भोजन कराना, उनकी पूजा करना और उनका आशीर्वाद लेना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य है, जो मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति का मार्ग है.

कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्म में कन्या पूजन को शक्ति पूजा का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। कन्याएं, विशेष रूप से दो से दस वर्ष की बालिकाएं, मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं. अष्टमी और नवमी के दिन किए जाने वाले इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. माना जाता है कि छोटी कन्याओं में मां दुर्गा का निवास होता है, और उनके पूजन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
कन्या पूजन के नियम और विधि
कन्या पूजन करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके. यहां कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:
- उम्र का ध्यान: कन्या पूजन के लिए दो से दस वर्ष की कन्याओं को उपयुक्त माना जाता है. यह उम्र मां दुर्गा के बाल रूप को दर्शाती है और इन कन्याओं में शेरावाली माता का वास माना जाता है.
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान: पूजा स्थल को शुद्ध और साफ रखें. जिस स्थान पर कन्याओं को बैठाया जाता है, वह स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए.
- कन्याओं का स्वागत: पूजा से पहले कन्याओं को पूरे आदर-सत्कार के साथ बुलाया जाए. उन्हें प्रेमपूर्वक अपने घर में लाएं और पैर धोकर उनकी पूजा करें. इसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है.
- भोग और प्रसाद: कन्याओं को खिलाए जाने वाले भोजन में विशेष ध्यान दिया जाए. उन्हें भोजन में हलवा, पूरी और चने का भोग अर्पित किया जाता है. साथ ही फल और मिठाई भी दी जाती हैं.
- कन्याओं को वस्त्र और उपहार: पूजा के बाद कन्याओं को वस्त्र, उपहार, और दक्षिणा देना शुभ माना जाता है. यह प्रतीक है कि देवी को संतुष्ट किया गया है और उनकी कृपा साधक पर बनी रहेगी.
- कन्याओं का आशीर्वाद लेना: कन्याओं को भोजन और उपहार देने के बाद उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. यह माना जाता है कि छोटी कन्याओं का आशीर्वाद मां दुर्गा की कृपा के समान होता है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है.
पौराणिक संदर्भ
कन्या पूजन का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने एक कन्या के रूप में राक्षस कालासुर का वध किया था. इसी कारण से नवरात्रि के दौरान कन्याओं की पूजा की जाती है. यह अनुष्ठान भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है.
कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ
कन्या पूजन से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति का वास होता है. भक्तों का मानना है कि इस अनुष्ठान से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. कन्या पूजन के दौरान देवी की कृपा से परिवार में संतान सुख और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.

निष्कर्ष
कन्या पूजन का महत्व नवरात्रि के अनुष्ठानों में प्रमुख स्थान रखता है. इसे सही विधि और नियमों का पालन करते हुए करने से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है और वे देवी के आशीर्वाद से लाभान्वित होते हैं.