मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत एडवांस्ड केमेस्ट्री सेल (ACC) बैट्री मैन्युफैक्चरिंग के लिए चुना गया है. यह चयन 10 गीगावाट-ऑवर (GWh) की क्षमता वाले बैट्री निर्माण के लिए किया गया है। भारी उद्योग मंत्रालय ने इस चयन की पुष्टि की है, जो गुणवत्ता और लागत मैकेनिज्म के आधार पर किया गया है.
एसीसी बैट्री की तकनीक और उपयोग
एसीसी बैट्री एक एडवांस्ड एनर्जी स्टोरेज तकनीक है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और पावर बैकअप सॉल्यूशंस में किया जाता है. यह तकनीक इलेक्ट्रिक एनर्जी को इलेक्ट्रोकेमिकल एनर्जी के रूप में स्टोर करती है और फिर जरूरत पड़ने पर उसे बिजली में परिवर्तित कर सकती है. इस तकनीक का लाभ यह है कि यह उच्च क्षमता और दीर्घकालिक उपयोग के लिए सक्षम है, जिससे ऊर्जा की अधिकतम दक्षता प्राप्त की जा सकती है.
PLI स्कीम और वित्तीय लाभ
पीएलआई स्कीम के तहत 10 GWh एसीसी स्टोरेज क्षमता विकसित करने के लिए सरकार द्वारा 3,620 करोड़ रुपये का इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा. रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा, एसीएमई क्लीनटेक सोल्यूशन, अमारा राजा एडवांस सेल टेक्नोलॉजी, अन्वी पावर इंडस्ट्रीज, जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी, और लुकास टीवीएस लिमिटेड ने भी इस योजना के तहत एसीसी बैट्री मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवेदन किया था.
PLI योजना का पूर्ववर्ती चरण
दो साल पहले पीएलआई स्कीम के तहत एसीसी बैट्री मैन्युफैक्चरिंग के पहले चरण का आवंटन पूरा किया गया था. पहले चरण में तीन कंपनियों को 30 GWh एसीसी स्टोरेज क्षमता विकसित करने का काम सौंपा गया था. इसके अतिरिक्त, सरकार ने एसीसी की 50 GWh क्षमता विकसित करने के लिए 18,100 करोड़ रुपये का प्रविधान रखा है.
ऊर्जा संधारण के लाभ
एसीसी बैट्री क्षमता का विकास कम लागत पर बिजली स्टोरेज को सक्षम बनाएगा। इसके परिणामस्वरूप, पेट्रोल और डीजल की बजाय बिजली का उपयोग बढ़ेगा, जिससे पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम होगी और आयात बिल में भी भारी कमी आएगी. यह ऊर्जा सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो देश के ऊर्जा सुरक्षा और स्वावलंबन को बढ़ावा देगा.
निष्कर्ष
रिलायंस इंडस्ट्रीज का चयन पीएलआई स्कीम के तहत एसीसी बैट्री निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह न केवल कंपनी के लिए बल्कि देश की ऊर्जा नीति और उद्योग के लिए भी लाभकारी साबित होगा. एसीसी बैट्री के विकास से न केवल ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह इलेक्ट्रिक वाहनों और पावर बैकअप सॉल्यूशंस के क्षेत्र में भी एक बड़ा परिवर्तन लाएगा.