वित्त मंत्रालय ने 500 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय के मामलों में नियमों में ढील देने का निर्णय लिया है. यह कदम पूंजीगत व्यय को तेजी से बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
जीडीपी ग्रोथ में कमी और उसकी वजहें
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले 15 महीनों में सबसे कम है. इससे पहले की समान तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी. यह कमी विशेषकर पूंजीगत व्यय में आई गिरावट के कारण देखी गई है, जिसमें लोकसभा चुनावों के चलते कमी आई थी. जनवरी-मार्च 2023 में जीडीपी ग्रोथ 6.2 प्रतिशत थी, जो इस समय की तुलना में भी कम थी.
वित्त मंत्रालय की नई पहल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में पूंजीगत व्यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, मंत्रालय ने 2 सितंबर 2024 को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया, जिसमें 500 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय के मामलों में नियमों में ढील देने का निर्णय लिया गया है. यह कदम बजट प्रस्तावों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए परिचालन लचीलापन प्रदान करेगा.
नियमों में ढील और उसके प्रभाव
इस नियम में ढील का फायदा सभी मंत्रालयों और विभागों को होगा, लेकिन यह नियमों के कड़ाई से अनुपालन के अधीन रहेगा. मंत्रालय के अनुसार, सभी योजना व्यय और गैर-योजना व्यय को एकल नोडल एजेंसी (SNA) या केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA) द्वारा तैयार मासिक व्यय योजना (MEP) और तिमाही व्यय योजना (QEP) के दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए.
पूंजीगत खर्च पर जोर
सरकार अब पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर जोर दे रही है, ताकि न केवल अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाया जा सके बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो सकें. इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने की योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में डिमांड और कंजंप्शन में सुधार की उम्मीद है. यह रणनीति दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करेगी और आर्थिक वृद्धि को समर्थन प्रदान करेगी.
निष्कर्ष
वित्त मंत्रालय का यह निर्णय भारत की अर्थव्यवस्था को संजीवनी देने और जीडीपी ग्रोथ में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पूंजीगत व्यय में तेजी लाने से न केवल विकास की गति को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. सरकार की इस पहल से उम्मीद है कि आर्थिक वृद्धि को पुनर्जीवित किया जा सकेगा और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा.