कोलकाता में आज (27 अगस्त) नबन्ना अभियान (Nabanna Abhijan) के तहत एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया है. इस रैली का मुख्य उद्देश्य आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुए अत्याचार के खिलाफ विरोध जताना है. पश्चिम बंगाल छात्र समाज के बैनर तले आयोजित इस मार्च में हजारों छात्र और समर्थक शामिल हो रहे हैं. रैली की स्थिति और सुरक्षा के लिए कोलकाता पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए हैं.
कोलकाता में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
राज्य सचिवालय (नबन्ना भवन) के आस-पास और शहर के विभिन्न हिस्सों में पुलिस की तैनाती को लेकर अत्यधिक सावधानी बरती गई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को कोलकाता में लगभग 4,500 से 5,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. सुरक्षा के विशेष प्रबंध के तहत, आइजी और डीआइजी रैंक के 21 पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपा गया है, जबकि एसपी और डीएसपी रैंक के 13 अधिकारी भी तैनात किए गए हैं. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के 15 अधिकारी भी सुरक्षा के कर्तव्यों को निभा रहे हैं.
हावड़ा ब्रिज और चेक गेट पर कड़ी निगरानी
सुरक्षा की दृष्टि से हावड़ा ब्रिज को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और किसी भी वाहन को वहां से गुजरने की अनुमति नहीं दी जा रही है. इसके अलावा, हेस्टिंग्स स्थित फोर्ट विलियम के पीछे के चेक गेटों पर नागरिक स्वयंसेवकों द्वारा ग्रीस लगाया जा रहा है ताकि प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स पर चढ़ने से रोका जा सके. यह कदम प्रदर्शनकारियों की कोशिशों को विफल करने के लिए उठाया गया है.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और आरोप
नबन्ना अभियान को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं. तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने दावा किया है कि इस आंदोलन के पीछे एक बड़ी साजिश है और इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा खून की राजनीति कर रही है और माकपा व कांग्रेस उसकी मदद कर रही हैं. कुणाल घोष ने इस संदर्भ में दो वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें कुछ लोग गोलियां चलाने और लाशें गिराने की बातें कर रहे हैं. हालांकि, दैनिक जागरण ने इन वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है.
वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर आरोप लगाया है कि वह छात्रों के आंदोलन से डर गई है और इसे दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आंदोलन के दौरान कोई गंभीर घटना हुई तो राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.
पुलिस की प्रतिक्रिया
बंगाल पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक मनोज कुमार वर्मा ने कहा, “राज्य सचिवालय का क्षेत्र एक संरक्षित क्षेत्र है और वहां किसी भी संगठन ने विरोध जताने के लिए आवेदन नहीं किया है. हमें खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ असामाजिक तत्व इस अभियान की आड़ में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकते हैं. इसके अलावा, हमें यह भी सूचना मिली है कि बच्चों और महिलाओं को आगे रखकर गड़बड़ी की जा सकती है.” उन्होंने यह भी बताया कि आज यूजीसी नेट की परीक्षा है, और पुलिस का प्रयास रहेगा कि आम लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
निष्कर्ष
कोलकाता में नबन्ना अभियान रैली के दौरान सुरक्षा के व्यापक प्रबंध और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. राज्य की राजनीतिक और सुरक्षा प्रणाली की जांच के साथ-साथ, इस आंदोलन के प्रभाव और संभावित परिणामों पर भी नजर बनाए रखना आवश्यक होगा.