Business Idea
इलायची (Cardamom) का उपयोग भारत में बड़े पैमाने पर मसाले के रूप में किया जाता है. इसे मसालों की रानी कहा जाता है और इसकी मांग साल भर बनी रहती है. इलायची न केवल भारतीय रसोई में बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है. इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इलायची की खेती करना थोड़ी मेहनत और सही जानकारी की मांग करता है, लेकिन एक बार इसमें सफलता मिल गई तो किसान मालामाल हो सकते हैं.

इलायची की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी
इलायची की खेती के लिए 10°C से 35°C के बीच का तापमान उपयुक्त होता है. यह मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में उगाई जाती है जहां नियमित बारिश होती है, लेकिन जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो सके. इसे छायादार स्थानों में उगाया जाता है और पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती अधिक लाभकारी होती है. दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक, और तमिलनाडु इलायची की खेती के लिए प्रमुख स्थान हैं.
इलायची की किस्में
भारत में मुख्यतः तीन प्रकार की इलायची उगाई जाती है: छोटी इलायची, बड़ी इलायची और हरी इलायची. छोटी इलायची सबसे अधिक उपयोग की जाती है और इसका व्यापारिक महत्व भी अधिक है. किसान अपनी भूमि और जलवायु के अनुसार सही किस्म का चयन कर सकते हैं.
बुवाई का तरीका
इलायची की खेती के लिए बीज या पौधों का उपयोग किया जाता है. बीजों को पहले नर्सरी में लगाया जाता है और लगभग 10-12 महीने के बाद पौधों को मुख्य खेत में स्थानांतरित किया जाता है. पौधे को छायादार स्थान में लगाना जरूरी है और उसके आसपास की मिट्टी को नम बनाए रखना आवश्यक है.

इलायची की देखभाल
इलायची की खेती में नियमित सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशक का सही उपयोग करना पड़ता है. इसके अलावा, पौधों को अच्छी तरह से देखभाल करने पर लगभग तीन से चार साल बाद फसल तैयार हो जाती है. इलायची का पौधा एक बार लगने के बाद लगभग 10-15 साल तक फसल देता है.
मुनाफा
इलायची का बाजार मूल्य हमेशा ऊंचा रहता है, जिससे किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में छोटी इलायची की कीमत प्रति किलोग्राम हजारों रुपये तक पहुंच जाती है. एक हेक्टेयर भूमि से किसान 200 से 300 किलोग्राम तक इलायची की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सालाना लाखों रुपये का मुनाफा हो सकता है.