भारत में खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने दूध उत्पादों की पैकेजिंग पर A1 और A2 दूध के दावों पर लगाई रोक

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हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने दूध उत्पादों की पैकेजिंग पर A1 और A2 दूध के दावे को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इस नए दिशा-निर्देश के तहत, अब कोई भी दूध उत्पाद A1 या A2 दूध के दावे का उल्लेख अपनी पैकेजिंग पर नहीं कर सकता.

भारत में दूध और डेयरी उत्पादों की एक महत्वपूर्ण बाजार है, और इसके गुणवत्ता मानक सुनिश्चित करने के लिए FSSAI का एक प्रमुख भूमिका है. हाल के वर्षों में, A1 और A2 दूध की संज्ञा ने बहुत चर्चा और विवाद पैदा किया है. A1 और A2 दूध की अवधारणाएँ विशेष रूप से दूध में उपस्थित बीटा-कैसीन प्रोटीन की किस्मों से जुड़ी हैं, जिनकी उपस्थिति स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने के दावे किए गए हैं. A1 दूध में बीटा-कैसीन का A1 प्रकार और A2 दूध में A2 प्रकार होता है.

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दूध उत्पाद

फैसले का विवरण

FSSAI द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के तहत, दूध और दूध उत्पादों की पैकेजिंग पर अब A1 और A2 दूध के दावे को समाप्त कर दिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं को उत्पादों के बारे में भ्रमित करने से रोका जा सके। FSSAI ने इस बात पर जोर दिया कि इन दावों के वैज्ञानिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं और उपभोक्ताओं को गलत सूचना देने का जोखिम है. इसके अलावा, यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस निर्णय का उद्देश्य दूध की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना है, न कि उसे किसी विशेष प्रकार के दूध के आधार पर विभाजित करना.

A1 और A2 दूध की अवधारणाएँ

A1 और A2 दूध की अवधारणाएँ पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रिय हुई हैं। A1 दूध में बीटा-कैसीन के A1 प्रकार का प्रोटीन होता है, जबकि A2 दूध में केवल A2 प्रकार का प्रोटीन होता है. कुछ अध्ययन और दावे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि A2 दूध स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी हो सकता है और इसमें कम समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं. हालांकि, इस विषय पर वैज्ञानिक समुदाय में अभी भी मतभेद हैं और पर्याप्त प्रमाण की कमी है.

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इस नई नीति के प्रभाव से दूध उत्पादक कंपनियों को अपनी पैकेजिंग और मार्केटिंग रणनीतियों में बदलाव करना पड़ेगा. कंपनियों को अब केवल दूध की गुणवत्ता, ताजगी और स्रोत की जानकारी देना होगा, न कि दूध के प्रकार के दावे पर जोर देना होगा. इससे उपभोक्ताओं को दूध के वास्तविक गुणों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा और वे उत्पादों को वास्तविक आधार पर चुन सकेंगे.

इस दिशा-निर्देश के लागू होने से उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि वे जो दूध खरीद रहे हैं, वह सुरक्षित और गुणवत्ता युक्त हो. अब उन्हें केवल ब्रांड के दावे पर भरोसा नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता और ताजगी पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे. इसके अलावा, यह निर्णय बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा को स्वस्थ बनाने में भी सहायक होगा.

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फूड सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की भूमिका

FSSAI का मुख्य उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और मानक सुनिश्चित करना है. इस प्रकार के निर्णय उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के हित में होते हैं. FSSAI द्वारा लागू की गई नई नीतियाँ यह सुनिश्चित करती हैं कि खाद्य उत्पादों की जानकारी सटीक और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हो, जिससे उपभोक्ताओं को सही और स्वच्छ जानकारी मिल सके.

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