रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि फल, सब्जी और डेयरी उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को अपेक्षाकृत कम हिस्सा मिलता है. यह रिपोर्ट बताती है कि जब ग्राहक बाजार में सब्जियों और फलों के लिए अधिक भुगतान करता है, तो उसका अधिकांश हिस्सा अन्य माध्यमों जैसे थोक और खुदरा विक्रेताओं को चला जाता है, जबकि किसानों को बहुत कम फायदा होता है.

किसानों को कितना मिलता है हिस्सा?
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यदि कोई ग्राहक 100 रुपये का एक किलो आलू खरीदता है, तो उसमें से केवल 36.7 रुपये किसान को मिलते हैं. बाकी का हिस्सा व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के बीच बंट जाता है. इसी प्रकार, टमाटर और प्याज की कीमतों में भी किसानों को सिर्फ 33% और 36% हिस्सा ही मिलता है. इसका मतलब है कि बाजार में बढ़ती महंगाई का सीधा फायदा किसानों को नहीं होता, बल्कि मध्यस्थों को ज्यादा लाभ मिलता है.
खाद्य महंगाई का असर और आरबीआई की चिंता
खाद्य उत्पादों की बढ़ती कीमतों के कारण आरबीआई का महंगाई प्रबंधन कई बार विफल हो जाता है. इसलिए, इसने 12 प्रमुख खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों पर चार अध्ययन रिपोर्टें जारी की हैं. इन रिपोर्टों में टमाटर, आलू, प्याज, केला, आम, अंगूर, चना, तूर, मूंग, दूध, पोल्ट्री उत्पाद और अंडे की कीमतों पर विशेष ध्यान दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, जब इन उत्पादों की खुदरा कीमतें बढ़ती हैं, तो किसानों को उतना लाभ नहीं मिलता जितना अन्य माध्यमों को होता है.
दाल और प्रोटीन आधारित उत्पादों में किसानों को ज्यादा फायदा
हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि दलहन और प्रोटीन आधारित उत्पादों जैसे दूध, अंडा और पोल्ट्री में किसानों की हिस्सेदारी ज्यादा होती है. उदाहरण के लिए, दूध की खुदरा कीमत में किसानों को 70% हिस्सा मिलता है, जबकि अंडों में यह हिस्सा 75% तक होता है. इसके अलावा, चना में किसानों को 75%, मूंग में 70% और तूर में 65% हिस्सा मिलता है. इसका मतलब है कि जब इन उत्पादों की कीमतें बढ़ती हैं, तो किसानों को भी अधिक लाभ मिलता है.
अन्य कृषि उत्पादों में किसानों की हिस्सेदारी
कुछ अन्य उत्पादों में भी किसानों की हिस्सेदारी का आंकड़ा सामने आया है। उदाहरण के तौर पर, केला की खुदरा कीमत का 31%, अंगूर का 35%, और आम का 45% हिस्सा किसानों को मिलता है. हालांकि, फलों और सब्जियों की बढ़ती कीमतों के बावजूद, किसानों को बाजार के लाभ का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है.
रिपोर्ट में दिए गए सुझाव
आरबीआई की रिपोर्ट में किसानों के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए हैं. इसमें किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की संख्या बढ़ाने, कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग करने और फ्यूचर ट्रेडिंग को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की गई है. इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए इन उपायों को लागू करना जरूरी है.

निष्कर्ष
आरबीआई की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि फलों और सब्जियों की बढ़ती कीमतों का सीधा लाभ किसानों को नहीं मिलता, जबकि मध्यस्थों और विक्रेताओं को इसका बड़ा हिस्सा मिलता है. हालांकि, प्रोटीन आधारित उत्पादों में किसानों की हिस्सेदारी अधिक होती है, लेकिन अन्य कृषि उत्पादों में यह अंतर बना रहता है. रिपोर्ट में दी गई सिफारिशें किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं.