महिलाओं में भी बड़ रही हार्ट अटैक समस्या।।।

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कुछ साल पहले तक यह माना जाता था कि महिलाओं को हार्ट अटैक कम आते हैं। फिर धीरे-धीरे लोगों का यह भम्र टूटा। अब कई रिसर्च और घटनाओं ने साबित कर दिया है कि महिलाएं भी हार्ट अटैक से सुरक्षित नहीं हैं। खासकर जब वो अपने मेनोपॉज फेज में होती हैं। वहीं, 60 की उम्र के बाद पुरुषों और महिलाओं दोनों में हार्ट डिजीज का खतरा समान होता है।

गुजरात के भावनगर में 24 फरवरी को हेतल राठौर की शादी की रस्मों के दौरान मौत हो गई। दुल्हन हेतल को दिल का दौरा पड़ा। वह मंडप में गिर पड़ीं। घर वाले अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इससे पहले बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन को भी हार्ट अटैक का सामना करना पड़ा। 47 साल की सुष्मिता को एक्टिव लाइफस्टाइल के बावजूद दिल का दौरा पड़ा।

भारत में महिलाएं तेजी से बन रहीं दिल की मरीज

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज रिस्क फैक्टर कॉलैबेरेशन ने भारत में महिलाओं में दिल की बीमारी के बढ़ते ट्रेंड और उससे होने वाली मृत्यु दर पर एक स्टडी की है।

स्टडी के मुताबिक भारत में साल 2017 में दिल की बीमारियों से करीब 41 लाख लोगों ने जान गंवाई। इनमें 18 लाख महिलाएं और 23 लाख पुरुष थे। भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल की बीमारी ने ज्यादा रफ्तार पकड़ी है। महिलाओं में यह तेजी ओवरवेट, डायबिटीज, स्मोकिंग और ओरल इंफेक्शन के कारण आई है।

अमेरिका में भी हार्ट अटैक से जान गंवा रहीं ज्यादा महिलाएं

अमेरिका में 6 करोड़ से अधिक महिलाएं किसी न किसी दिल की बीमारी के के साथ जी रही हैं। दिल की बीमारी अमेरिका में महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण है और इसकी कोई उम्रसीमा भी नहीं है।

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी के मुताबिक, साल 2020 में हार्ट डिजीज की वजह से 3 लाख से ज्यादा महिलाओं ने जान गंवाई। रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि केवल 56% अमेरिकी महिलाएं ही समझ पाती हैं कि हार्ट डिजीज उनके लिए खतरनाक है।

महिलाओं में सबसे कॉमन हार्ट डिजीज कोरोनरी आर्टरी

रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत बताते हैं कि महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाली दिल की बीमारी कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, जिसमें दिल से दूसरे अंगों तक खून पहुंचाने वाली नलियों में प्लाक की वजह से ब्लॉकेज आ जाता है।

मेनोपॉज के बाद महिला की बॉडी में होने वाले हाॅर्मोनल बदलाव की वजह से उनमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज का चांस और बढ़ जाता है। महिलाओं को ‘एरीथीमिया’ की वजह से हार्ट अटैक की आशंका ज्यादा रहती है। इसमें दिल बहुत धीरे या बहुत तेज या फिर अनियमित तरीके से धड़कता है। यह ‘आर्टलियल फिब्रिलेशन’ उदाहरण है।

महिलाओं में तीसरा खतरा ‘हार्ट फेल्योर’ का बढ़ रहा है। इस कंडीशन में दिल इतना कमजोर हो जाता है कि वो शरीर के दूसरे अंगों तक खून नहीं पहुंचा पाता। यह स्थिति सबसे गंभीर होती है।

महिलाओं में देर से पता चलती है दिल की बीमारी

कई महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण हार्ट अटैक जैसी सीरियस मेडिकल इमरजेंसी होने तक नहीं दिखते। महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण पुरुषों से अलग होने की वजह से उनका किसी पर ध्यान नहीं जाता। महिलाओं में लक्षण भी धीरे-धीरे सामने आते हैं।

महिला को किस तरह की हार्ट डिजीज है, इस आधार पर लक्षण अलग हो सकते हैं। शुरूआती लक्षणों के बाद में महिलाओं में दिल की बीमारी होने पर पैर में सूजन, वजन बढ़ना, नींद न आना, एंग्जायटी, बेहोशी, खांसना और आवाज में खरखराहट होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

सर्जन डॉक्टर सुधीर प्रेम श्रीवास्तव का कहना है कि हार्ट डिजीज की सभी महिला पेशेंट पहले से किसी बीमारी से पीड़ित नहीं होतीं। कुछ तो बेहद हेल्दी लाइफस्टाइल जी रही होती हैं। लेकिन स्ट्रेस और एंग्जायटी आज की लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन चुके हैं। पॉल्यूशन जैसे और फैक्टर्स भी हार्ट अटैक की वजह बनते हैं। हालांकि महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर इग्नोर करती हैं और गंभीरता से नहीं लेती। जानकारी का अभाव और सेहत को लेकर लापरवाही भी भारी पड़ती है।

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