लगातार OTT कंटेंट के वल्गर होने की शिकायतों के बीच इनफार्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर ने बड़ा बयान दिया है। मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि OTT कंटेंट पर वल्गर और गाली-गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ओटीटी प्लेटफार्म हो या बॉलीवुड में बनाई गई पिक्चर हो वल्गैरिटी के नाम पर कुछ भी परोसा जा रहा है। इतना ही नहीं आजकल तो कई एक्ट्रेस भी ड्रेस के नाम पर वल्गैरिटी में छाई हुई है। हाल ही में उर्फी जावेद की बात करें तो वह भी लगातार सुर्खियों में रहती है तो अब स्थिति कंटेनर के भी वल्गर होने की शिकायतें लगातार सामने आ रही है
आज की युवा पीढ़ी की बात करें या बच्चों की बात करें इस तरीके की प्लेटफार्म पर पिक्चरों को देखने से उन पर इस बात का गहरा असर पड़ रहा है ।इस चीज को देखते हुए वह इस तरीके के कार्य कर रहे हैं जिससे भारत के बच्चों में एक अलग ही छवि उभर कर सामने आ रही है
कड़े कदम लेने से पीछे नहीं हटेगी सरकार
अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार OTT कंटेंट पर आ रही शिकायतों का हल निकालने और कंटेंट को बेहतर बनाने की तरफ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हम OTT कंटेंट पर क्रिएटिविटी के नाम पर वल्गर भाषा के इस्तेमाल को रोकने के लिए कोई भी कदम लेने से पीछे नहीं हटेंगे।
प्रेस कांफ्रेंस को में अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘हम OTT कंटेंट पर आ रही शिकायतों से निपटने के लिए सीरियस प्लान बना रहे हैं। हम इस ट्रेंड को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इन प्लेटफॉर्म को क्रिएटिविटी के लिए छूट दी गई थी, वल्गर कंटेंट बनाने के लिए नहीं। लगातार गालियां देते जाना तो क्रिएटिविटी नहीं है। क्रिएटिविटी के नाम पर इस बर्ताव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’
कंटेंट चेक करने के लिए थ्री स्टेप मैकेनिज्म है- अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर ने आगे कहा- ‘अगर हमें इसे कंट्रोल करने के लिए नियमों में बदलाव भी करना पड़े, तो मंत्रालय इसके लिए तैयार है। इस ट्रेंड को खत्म करने के लिए हम कड़े से कड़े कदम उठा सकते हैं। OTT प्लेटफार्म के कंटेंट को चेक करने के लिए थ्री स्टेज मैकेनिज्म है। बीते कुछ दिनों से OTT कंटेंट को लेकर काफी शिकायतें मिल रही हैं।’
सेल्फ सेंसर करते हैं कंटेंट मॉडरेटर-
सैंसरशिप के मौजूदा सिस्टम को समझाते हुए ठाकुर बोले- ‘अभी तक जो प्रोसेस है उसके हिसाब से सबसे पहले प्रोड्यूसर को शिकायतों का निपटारा करने के लिए जरूरी कदम उठाने हैं, जरूरी बदलाव करना है। इस स्टेप से ही करीब 90 से 92 पर्सेंट शिकायतों का हल मिल जाता है। इसके बाद भी कोई शिकायत आती है तो इसकी जिम्मेदारी एसोसिएशन लेगा।
आखिरी स्टेज पर सरकार के जरिए, मिनिस्ट्री के जरिए नियमों के मुताबिक डिपार्टमेंट की कमेटी आपको समाधान देती है।’
इस साल जनवरी में ठाकुर ने क्रिएटिव फ्रीडम का पक्ष लेते हुए कहा था कि कंटेंट मॉडरेटर की तरफ से सेल्फ मॉनिटर किया जाता है। क्रिएटिविटी पर किसी तरह का कंट्रोल या सेंसर नहीं होना चाहिए पर क्रिएटिविटी के नाम पर कुछ भी दिखा दिया जाए, ये नहीं होना चाहिए।
इसी महीने दिल्ली हाई कोर्ट की जज वेब सीरीज ‘कॉलेज रोमांस’ के कंटेंट को बहुत अश्लील बताया था। इस वजह से उन्होंने सीरीज के मेकर्स पर FIR दर्ज करने का निर्देश भी दिया था। इतना ही नहीं, जस्टिस स्वर्ण कांता ने कहा- ये सीरीज इतनी वल्गर है कि मुझे एयर फोन लगाकर देखनी पड़ी। इसमें ऐसी अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया गया है की पब्लिकली देखने पर लोग चौंक जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्रिव्यू कमेटी की याचिका खारिज की
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने नई OTT सैंसरशिप से जुड़ी एक याचिका खारिज कर दी थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने मिर्जापुर के रहने वाले सुजीत कुमार सिंह की याचिका खारिज की थी। सिंह ने याचिका में एक प्रिव्यू कमेटी बनाए जाने की डिमांड की थी जो OTT कंटेंट के रिलीज होने से पहले कंटेंट का प्रिव्यू करेगी। इस पर कोर्ट ने कहा था कि ऐसा करना प्रैक्टिकल नहीं है।