नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा ने मंगलवार को मराठा आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके तहत समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा विशेष विधानसभा सत्र में पेश किए जाने के कुछ मिनट बाद ही विधेयक पारित कर दिया गया.
महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 सर्वसम्मति से पारित किया गया, केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री छगन भुजबल ने कानून पर आपत्ति जताई. भुजबल ओबीसी कोटा के तहत मराठों को आरक्षण देने का विरोध करते रहे हैं.
मुख्यमंत्री अब इस बिल को मंजूरी के लिए विधान परिषद में पेश करेंगे, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा. 17 फरवरी को, शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल को आश्वासन दिया था कि आरक्षण देने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 20 फरवरी को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाएगा.
कब हुई घोषणा
यह घोषणा उस दिन हुई जब मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जारांगे पाटिल का अनिश्चितकालीन अनशन सातवें दिन में प्रवेश कर गया. लेकिन, कार्यकर्ता ने विधेयक के पारित होने को मराठा समुदाय के साथ विश्वासघात बताया. पाटिल ने कहा कि कोटा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत होना चाहिए न कि अलग से. उन्होंने कहा सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है. यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है. मराठा समाज आप पर भरोसा नहीं करेगा. हमें अपनी मूल मांगों से ही फायदा होगा. यह आरक्षण नहीं रहेगा.सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है.
पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट जानिए
पिछले हफ्ते मराठा आरक्षण और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी. रिपोर्ट से पता चला कि मराठा समुदाय, जो राज्य की कुल आबादी का 28 प्रतिशत है, में माध्यमिक शिक्षा और स्नातक, स्नातकोत्तर, व्यावसायिक शिक्षा पूरी करने वाले लोगों का प्रतिशत कम था. इसमें कहा गया कि समुदाय का आर्थिक पिछड़ापन शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकारी रोजगार के सभी क्षेत्रों में मराठा समुदाय का प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है और इसलिए, वे सेवाओं में पर्याप्त आरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा के हकदार हैं. किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों का हवाला देते हुए, यह पता चला कि आत्महत्या से मरने वालों में से 94 प्रतिशत मराठा समुदाय के थे.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूंकि अन्य जातियां, लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण वाले समूह पहले से ही आरक्षित श्रेणी में हैं, इसलिए मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग खंड में रखना अनुचित होगा.
आयोग ने पाया कि मराठा समुदाय संविधान के अनुच्छेद 342सी के साथ-साथ अनुच्छेद 366(26सी) के अनुसार सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग है.