कब शिवलिंग पर जल चढ़ाना होता है निषेध
भारत में शिवलिंग की पूजा का बहुत महत्व है. जहां पर हिंदू धर्म में शिव भगवान की पूजा को काफी अहम भी माना गया है. शिव भक्तों के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाना एक पवित्र और महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है. परंतु, कई बार यह सवाल उठता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं और कब जल नहीं चढ़ाना चाहिए. शास्त्रों में इस विषय पर विशेष रूप से निर्देश दिए जाते है. आज के इस ब्लाॅग में हम आपको इसी बारें में जानकारी देने के लिए जा रहे है. आइए जानते है कि कब आपकेा शिवलिंग पर जल नही चढ़ाना चाहिए, पहले जान लें इसके महत्व के बारें में

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व
शिवलिंग पर जल चढ़ाना शिव जी की आराधना का एकहिस्सा है. यह प्रक्रिया भक्त के मन और आत्मा को शुद्ध करने के लिए की जाती है. जल ,जो जीवन का आधार माना गया है. ऐसा माना गया है, कि जो भी जातक सच्चे मन से शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. यह भी माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी दुख और रोग दूर होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती है.

कब जल नहीं चढ़ाना चाहिए
शास्त्रों में ऐसे दिनों के बारें में भी विचार किया जाात है, जिस दिन आपको शिवलिंग पर जल नही चढ़ाना चाहिए. बतादें, कि इन दिनों पर अगर केाई शिवलिंग पर जल चढ़ाता है तो उसे उचित नही माना गया है. आइए जानते है
संक्रांति
किसी भी संक्रांति के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना वर्जित है. शास्त्रों के अनुसारए इस दिन जल चढ़ाने से अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है.
ग्रहण
सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भी शिवलिंग पर जल चढ़ाना निषेध है. इस समय शिवलिंग पर जल चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है.
महाशिवरात्रि की रात्रि
महाशिवरात्रि की रात्रि में शिवलिंग पर जल चढ़ाना नहीं किया जाता. इस समय अन्य विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं.
अशुद्ध मन और शरीर
जब भक्त का मन और शरीर अशुद्ध हो, तब शिवलिंग पर जल चढ़ाना नहीं चाहिए. शुद्धता के साथ ही पूजा का महत्व है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व और इसके नियमों का पालन करने से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसलिएए शास्त्रों के निर्देशों का पालन करना और शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय उचित विधि का ध्यान रखना अति महत्वपूर्ण है.