5 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी करने वाले 28 वर्षीय व्यक्ति को दिल्ली की एक कोर्ट ने ताउम्र कैद की सजा सुनाई है. व्यक्ति पर बच्ची को अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने उसे गंभीर रूप से चोट पहुंचाने गालों को काटने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. न्यायाधीश ने इस मामले को निंदनीय बताते हुए अपराधी से कहा कि तुम ग्रहण करने के लायक नहीं हो.
बच्ची के साथ जानवरों जैसा सलूक
बच्ची के साथ 28 वर्षीय व्यक्ति के द्वारा की गई बदसलूकी के मामले पर दिल्ली की कोर्ट ने अपराधी को उम्रकैद का फैसला सुनाया है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि अपराधी ने बच्ची के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया है. उसने मासूम के साथ क्रूरता की है जिसके कारण वह रहम करने लायक नहीं है. बच्ची के साथ हुए अत्याचार और अपराध को देखते हुए कोर्ट ने कहा की अपराधी को सजा उसके अपराध जितनी ही क्रूर होनी चाहिए ताकि ऐसा प्राप्त करने वालों के लिए यह सज़ा प्रभावित रहे.
क्या है पूरा मामला
बच्ची के साथ हुए यौन अपराध और गंभीर चोट पहुंचाने के मामलों की सुनवाई रोहिणी जिला अदालत में न्यायाधीश सुशील बाला डागर के द्वारा की जा रही थी. न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने अपराधी पर अधिनियम की धारा छह लगाते हुए ताउम्र कैद की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने अपराधी को बच्ची के साथ बलात्कार करने और गंभीर रूप से चोट पहुंचाने का भी आरोपी माना है. दिल्ली की अदालत के द्वारा फैसला सुनाते वक्त कहा गया कि आरोपी के द्वारा किया गया बच्ची के साथ व्यवहार रहम करने के लायक नहीं है. कोर्ट ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि अपराधी ने पहले बच्ची का अपहरण किया फिर उसके गालों को काटा और उसके चेहरे पर इतनी जोर से चांटा मारा की बच्ची के दांत टूट गए. न्यायाधीश ने इस मामले पर आदेश देते हुए कहा कि “बच्चों के खिलाफ दिन पर दिन बढ़ते अत्याचारों और अपराधों को देखकर यह अदालत दुखी है. जानकारी के लिए बता दें कि बच्ची भाई दूज के मौके पर अपने नाना नानी के घर गई थी ताकि वह हंसी-खुशी अपने त्यौहार को मना सके लेकिन उसे जानवरों जैसी क्रुरता का सामना करना पड़ा. न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई के दौरान बच्ची को समाज के लिए उपहार कहना भी अपराधी जैसी मानसिकता वाले लोगों के करण बेतुका बताया और बच्ची के लिए सहानूभुति जताते हुए कहां की बिना किसी गलती के भी बच्ची को इतनी दर्दनाक यातना सहनी पड़ी.
बच्ची को मिलेगा 10.5 लाख का मुआवजा
अदालत द्वारा कहा गया कि इस घटना से बच्चों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा है, इसलिए जिस प्रकार की कुर्ता बच्चों के साथ दिखाई गई है वैसे ही सजा अपराधी को मिली चाहिए ताकि अपराधी अपराध की गरिमा को समझ सके और उसे प्रभावी महसूस हो. न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा कि इस मामले की हर परिस्थितियों पर विचार करते हुए (जैसे की बच्ची और दोषी की आयु, पारिवारिक स्थिति, प्रभाव डालने वाले सामाजिक और आर्थिक तत्व) अपराधी को अधिनियम की धारा छह के मुताबिक ताउम्र कैद की सजा सुनाई जाती है.
साथ ही अदालत में पीड़िता सहित पूरे परिवार को समाज के द्वारा किए गए अपमान का सामना करने की बात भी कहीं. और कहा कि इस घटना से नात शरीफ बच्ची को शारीरिक यातना झेलनी पड़ी है बल्कि उसकी मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है जिसकी वजह से उसे वित्तीय सहायता के तौर पर 10.5 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा.