श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ योग और मुहूर्त

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. यह त्योहार विशेष रूप से भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को, कृष्णा जन्माष्टमी के रूप में, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और विशेष योग की जानकारी .

कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

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इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आज ही के दिन आयोजन होगा. यह पर्व भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो पिठानी की रात को भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय से जुड़ा हुआ है. इस दिन का विशेष महत्व है और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा है. , इस दिन कुछ विशेष शुभ मुहूर्त भी हैं जिन्हें ध्यान में रखकर पूजा अर्चना की जाती है.

शुभ योग और मुहूर्त

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी
  1. अभिजीत मुहूर्त: यह मुहूर्त दिन के मध्य में आता है और इसे सबसे शुभ समय माना जाता है. इस समय पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. अभिजीत मुहूर्त की अवधि 11:52 AM से 12:41 PM तक होती है.
  2. लाभ अमृत: यह मुहूर्त रात के समय में आता है और पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है. लाभ अमृत का समय 8:45 PM से 10:15 PM तक रहेगा.
  3. विजय मुहूर्त: विजय मुहूर्त भी पूजा के लिए एक अच्छा समय होता है और इसका समय 6:30 AM से 8:00 AM तक है.

पूजा विधि और आयोजन

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  1. निशा पूजा: कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात्रि 12 बजे के आसपास की जाती है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था. इस समय मंदिरों और घरों में विशेष सजावट की जाती है और भव्य पूजा अर्चना की जाती है.
  2. व्रत और उपवास: इस दिन व्रति विशेष व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं. दिनभर उपवास रखकर रात्रि में विशेष पूजा और भजन कीर्तन किया जाता है.
  3. मंगलाष्टक और मंत्र जप: इस दिन भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों का जाप और मंगलाष्टक का पाठ भी किया जाता है. यह पूजा के महत्वपूर्ण अंग होते हैं जो भक्तों को शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं.
  4. भजन और कीर्तन: कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भजन और कीर्तन का आयोजन बड़े उत्साह से किया जाता है. भक्तगण कृष्ण की लीलाओं और उनके गुणों का गुणगान करते हैं, जिससे एक भव्य धार्मिक वातावरण बनता है.
  5. स्नेह भोज: इस दिन विशेष भोज का आयोजन भी होता है जिसमें भगवान कृष्ण को प्रिय नैवेद्य अर्पित किया जाता है. यह भोज भक्तों के बीच खुशी और उल्लास को बढ़ाता है.

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