भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच कारोबारी सत्रों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. बीएसई सेंसेक्स अपने तीन सप्ताह के निचले स्तर 81,688.45 अंक पर बंद हुआ है. वहीं, एनएसई का निफ्टी भी गिरावट के बावजूद 25,000 के पार बंद हुआ. पिछले पांच सत्रों में निवेशकों की संपत्ति में 16.26 लाख करोड़ रुपये की भारी कमी आई है. आइए जानते हैं कि अगले सप्ताह बाजार का रुख कैसा हो सकता है.

पांच सत्रों में भारी गिरावट
बीते सप्ताह शेयर बाजार में निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ. बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 4,147.67 अंक की गिरावट के साथ 82,000 अंक से नीचे आ गया, जबकि निफ्टी 1,201.45 अंक टूटकर 25,014.60 पर बंद हुआ. शुक्रवार को सेंसेक्स 808.65 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ, और इसके साथ ही यह तीन सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया. इस दौरान सेंसेक्स में 1,835.64 अंक का उतार-चढ़ाव देखने को मिला.
साप्ताहिक प्रदर्शन और नुकसान
सप्ताह के अंत में, सेंसेक्स में कुल 3,883.4 अंक की गिरावट और निफ्टी में 1,164.35 अंक की गिरावट रही. यह गिरावट पिछले दो वर्षों में दोनों प्रमुख सूचकांकों का सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन है. इसके अलावा, बीएसई मिडकैप और स्मालकैप इंडेक्स में क्रमशः 0.94% और 0.80% की गिरावट आई. हालांकि, आईटी सेक्टर में थोड़ी तेजी देखने को मिली.
पश्चिम एशिया में तनाव और निवेशकों की रणनीति
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली के कारण घरेलू बाजार में दबाव बना हुआ है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि निवेशक अब रिकवरी की रणनीति अपना रहे हैं, लेकिन इस बीच कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और चीन जैसे सस्ते बाजारों में विदेशी फंड का प्रवाह चिंता का विषय बना हुआ है. बीते तीन सत्रों में एफआईआई ने भारतीय बाजारों से 30,614 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की है.
चीन के बाजार में विदेशी निवेशकों का रुझान
विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर सस्ते हांगकांग और चीनी बाजारों में लगा रहे हैं. चीन में मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहनों की वजह से निवेशकों को उम्मीद है कि चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और कंपनियों की आय बढ़ेगी. हालांकि, चीनी सुधार की दिशा और प्रभाव को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है.
सोमवार को कैसा रहेगा बाजार का रुख?
अगले सप्ताह का बाजार का माहौल काफी हद तक पश्चिम एशिया में जारी तनाव और विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करेगा. अगर इजरायल-ईरान संघर्ष और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है, तो भारतीय बाजार में करेक्शन का दौर आगे बढ़ सकता है. हालांकि, हाल की गिरावट के बाद बाजार में थोड़ा ठहराव या मामूली उछाल की संभावना है. आईटी, मेटल और फार्मा सेक्टर में मजबूती बनी रह सकती है, लेकिन अन्य सेक्टरों में बिकवाली का दबाव जारी रहने की आशंका है.

आरबीआई की भूमिका और कच्चे तेल की कीमतें
वर्तमान में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो गया है. तेल की ऊंची कीमतों से महंगाई बढ़ने का खतरा बना हुआ है, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है.