बुधवार को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024 (Global Fintech Fest 2024) में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने यूपीआई (UPI) और रुपे (RuPay) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए आरबीआई के प्रयासों को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का प्रमुख ध्यान इन दोनों प्रणालियों को ‘Truly Global’ बनाने पर है.
ग्लोबल पहचान की दिशा में प्रयास
गवर्नर दास ने अपने संबोधन में बताया कि पिछले दो वर्षों में फिनटेक क्षेत्र में लगभग 6 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है. उन्होंने कहा, “हम यूपीआई और रुपे को सही मायनों में वैश्विक बनाने के लिए काम कर रहे हैं.” इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हो चुकी है, जिसमें भूटान, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, नामीबिया, पेरू, फ्रांस और कुछ अन्य देश शामिल हैं, जहां रुपे कार्ड और यूपीआई नेटवर्क के माध्यम से भुगतान स्वीकार किए जा रहे हैं.
आरबीआई का फोकस
गवर्नर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक का ध्यान वित्तीय समावेशन, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), उपभोक्ता संरक्षण, साइबर सुरक्षा, टिकाऊ वित्त और वित्तीय सेवाओं के ग्लोबल इंटीग्रेशन को मजबूत करने पर है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कई देशों के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों और द्विपक्षीय समझौतों में सक्रिय रूप से शामिल है. इस संदर्भ में, सीमा पार भुगतान प्रणालियों और वित्तीय बुनियादी ढांचे को मजबूत करना आरबीआई का प्रमुख फोकस है.
फिनटेक क्षेत्र में निवेश
गवर्नर दास ने फिनटेक क्षेत्र में निवेश की जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में 6 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है. यह निवेश भारत के तकनीकी और वित्तीय फिनटेक इकोसिस्टम की ताकत को दर्शाता है, और इसे वैश्विक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में सहायक साबित हो रहा है.
भारत की बढ़ती भूमिका
दास ने भारत की तेजी से बढ़ती आर्थिक महाशक्ति की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने वित्तीय संस्थानों और फिनटेक कंपनियों को नए अवसरों का लाभ उठाने और जोखिमों को कम करने के लिए एक मजबूत ढांचा अपनाने की आवश्यकता की बात की. उन्होंने कहा कि भारत अपनी तकनीकी प्रतिभा और विकसित फिनटेक इकोसिस्टम के साथ डिजिटल इनोवेशन और फिनटेक स्टार्टअप्स के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सकता है.
निष्कर्ष
गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान और आरबीआई के प्रयास यह स्पष्ट करते हैं कि यूपीआई और रुपे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं. इन प्रयासों से न केवल भारत की वित्तीय प्रणाली को वैश्विक मान्यता मिलेगी, बल्कि वैश्विक वित्तीय समावेशन और सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा.