केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने धान की खरीदारी के लिए इस बार एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. विभाग ने हाल ही में राज्यों के साथ बैठक के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 485 लाख टन धान की खरीदारी का लक्ष्य निर्धारित किया है. पिछले साल की तुलना में यह 22 लाख टन अधिक है, जिससे इस बार रिकॉर्ड टूटने की संभावना है.
धान खरीद का नया लक्ष्य
केंद्र सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान की खरीदारी का लक्ष्य 485 लाख टन रखा है. यह लक्ष्य पिछले विपणन वर्ष 2023-24 में 463 लाख टन की खरीदारी से 22 लाख टन अधिक है. इसके अतिरिक्त, सरकार ने 19 लाख टन श्रीअन्न (मोटे अनाज) की भी खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है.
राज्यों के साथ बैठक
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने शुक्रवार को राज्यों के खाद्य सचिवों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में मानसूनी बारिश की स्थिति, खरीफ फसलों का उत्पादन अनुमान और राज्यों की तैयारी पर विस्तार से चर्चा की गई.
सहायक खाद्य सचिव ने बैठक में बताया कि खरीफ विपणन सत्र 2024-25 के लिए धान की खरीदारी का नया लक्ष्य चावल के मामले में 485 लाख टन तय किया गया है, जबकि पिछले सत्र में यह आंकड़ा 463 लाख टन था. इस बार का लक्ष्य किसानों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है.
मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान
इस बार सरकार ने मोटे अनाज की खरीद को भी महत्व देने की योजना बनाई है. केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे मोटे अनाज की खरीद पर विशेष ध्यान दें और इस क्षेत्र में भी वृद्धि सुनिश्चित करें. इस योजना के तहत, खरीफ विपणन सत्र 2022-23 में 6.6 लाख टन मोटे अनाज की खरीद की गई थी, जबकि इस बार 19 लाख टन की खरीद का लक्ष्य रखा गया है.
वित्तीय सुधार और अन्य पहल
इस बैठक में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की मौजूदा पहलों पर भी चर्चा की गई. विभाग ने खाद्यान्नों की सप्लाई चेन में सुधार और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया. इसके साथ ही, राज्य सरकारों को फसलों के विविधीकरण और पोषण बढ़ाने के लिए मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान देने की सलाह दी गई है.
निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा धान की खरीदारी के लिए निर्धारित किया गया नया लक्ष्य किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे न केवल किसानों को बेहतर समर्थन मूल्य मिलेगा, बल्कि देश के खाद्य सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी. इसके अलावा, मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर सरकार ने पोषण और फसल विविधीकरण को भी प्राथमिकता दी है. इस तरह की योजनाओं से किसानों को राहत मिलेगी और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.