रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की सफलता और चीन पर निर्भरता की चुनौती

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भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, खासकर सौर ऊर्जा के मामले में. हालांकि, चीन पर निर्भरता अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है. देश में सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण की क्षमता पिछले एक दशक में 30 गुना बढ़ चुकी है, लेकिन भारतीय कंपनियों के सामने चीन से मुकाबला करना अब भी मुश्किल है.

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सौर ऊर्जा उपकरण निर्माण में चीन का दबदबा

साल 2017 से भारत में सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. जहां पहले यह क्षमता सिर्फ 3,000 मेगावाट सालाना थी, अब यह 67,000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है. अगले वित्त वर्ष तक यह क्षमता 1,00,000 मेगावाट होने की उम्मीद है. हालांकि, सोलर पीवी मॉड्यूल निर्माण के लिए उपयोग होने वाली 80% से अधिक मशीनें और प्रौद्योगिकी अभी भी चीन से आयात की जाती हैं.

भारत अपनी जरूरत का 60% सोलर पीवी मॉड्यूल चीन से आयात करता है. इसके बावजूद, भारत सरकार के शुल्कीय और गैर-शुल्कीय प्रयास इस आयात पर अंकुश लगाने में असफल रहे हैं.

पीएलआई स्कीम में बदलाव की जरूरत

उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में बदलाव आवश्यक है. सोलर पीवी मॉड्यूल्स के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए हाल ही में सरकार ने 24,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया है, जिससे 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है. इससे 47,000 मेगावाट क्षमता के पीवी मॉड्यूल्स का निर्माण होगा.

हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, चीन पर हमारी निर्भरता घटाने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की जरूरत है. पॉलीमर्स और वेफर्स जैसे उत्पादों का निर्माण अभी भी भारत में काफी सीमित है, और ये सोलर उद्योग के अलावा सेमीकंडक्टर उद्योग में भी उपयोग होते हैं. इसके लिए सरकार को समग्र रूप से इस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

चीन पर घटती निर्भरता

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, चीन पर हमारी निर्भरता में कुछ हद तक कमी आई है. सोलर पीवी सेल्स और मॉड्यूल की आपूर्ति के लिए वर्ष 2022-23 में चीन पर निर्भरता क्रमशः 94% और 93% थी, जो 2023-24 में घटकर 56% और 66% हो गई है. इसके बावजूद, सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए चीन से उपकरणों का आयात जारी रखना भारत के लिए अनिवार्य है, खासकर जब तक घरेलू उत्पादन क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हो जाती.

भारत के सोलर इंडस्ट्री की चुनौतियां

सात्विक सोलर के सीईओ प्रशांत माथुर के अनुसार, भारत की PLI स्कीम को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है. इस स्कीम को केवल सोलर सेक्टर के कुछ हिस्सों के लिए नहीं, बल्कि पूरे वैल्यू चेन के विकास के लिए लागू किया जाना चाहिए. पॉलीमर्स और वेफर्स जैसी इकाइयों के निर्माण के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है, जिससे सोलर और सेमीकंडक्टर उद्योगों को भी लाभ हो सकेगा.

इसके अलावा, सौर ऊर्जा से जुड़े उद्योगों के लिए जमीन अधिग्रहण की समस्या भी बड़ी चुनौती है, जिसे सरकार के स्तर पर हल किया जा सकता है.

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निष्कर्ष

हालांकि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन चीन पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है.

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