Rakshabandhan 2024 में किस दिन मनाया जायेगा
Rakshabandhan 2024 में 19 अगस्त को मनाया जायेगा। रक्षाबंधन भाई बहनों के प्रेम के प्रतीक है इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है. और उनकी लंबी आयु और उत्तम स्वाथ्य की कामना करती है,बदले में भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है, साथ ही कुछ उपहार देता है। हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि में मनाया जाता है।
रक्षाबंधन 2024 शुभ मुहूर्त
Rakshabandhan में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:46 से शुरू होकर दोपहर के 4:19 तक रहेगा तथा प्रदोष काल में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 6:56 से शुरू होकर रात्रि के 9:07 तक रहेगा।
रक्षाबंधन में बन रहा सर्वार्थ सिद्धि का योग
इस साल रक्षाबंधन पर बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग, इस वर्ष रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग सहित कई और ऐसे योग बन रहे हैं ,जो लगभग 90 साल बाद बना रहे हैं ऐसे में कुंभ राशि वालों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा इस दिन सावन का आखिरी सोमवार है ,इसके साथ ही चंद्र देव का कुंभ राशि में प्रवेश होगा ।ऐसा माना जाता है,कि कुंभ राशि, शनि की राशि है ऐसे में इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शनि देव की भी कृपा प्राप्त होगी।
इतिहास में राखी का महत्व
इतिहास में बताया गया है कि रानी कर्मावती ने मुगल शासक हुमायूं को राखी भेज कर क्षमा याचना की थी, और हुमायूं ने उसे स्वीकार किया था। इसी तरह सिकंदर की पत्नी ने भी राजा पुरु को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था, जिससे राजा पूरु ने सिकंदर को न मारने का वचन दिया था इतिहास में इसी तरह कई अनेक उल्लेख भी मिलते हैं रक्षाबंधन के बारे में।
पौराणिक महत्व
वामनावतार कथा : जब राजा बलि ने यज्ञ को संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार करने का प्रयत्न किया तो देवताओं के राजा इंद्र भगवान विष्णु के पास पहुंचे और प्रार्थना करि कि राजा बलि से स्वर्ग की रक्षा करें, देवराज इंद्र की प्रार्थना को स्वीकार कर भगवान विष्णु वामन ब्राह्मण का रूप धरकर राजा बलि के पास पहुंचे और भिक्षा में तीन पग भूमि राजा बलि से मांगी, तब राजा बलि के गुरु ने उन्हें भिक्षा देने से मना किया लेकिन राजा बलि ने उनकी बात नहीं मानी, और तीन पग भूमि का दान कर दिया वामन देव ने तीन पग में आकाश पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। अपनी भक्ति की शक्ति से राजा बलि ने भगवान विष्णु से हर समय अपने साथ रहने का वचन ले लिया, इससे माता लक्ष्मी जी चिंतित हो गई तब नारद मुनि की सलाह पर लक्ष्मी जी राजा बलि के पास गई और रक्षा सूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया और भगवान विष्णु को अपने साथ वापस ले आईं।उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी कहते है तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा ,दानवेंद्रो महाबलाः ,तेन त्वाम प्रतिबद्धनामि नाम,रक्षे मांचल मांचलः।