Pradhan Mantri JI-VAN Yojana
Pradhan Mantri JI-VAN (Jaiv Indhan- Vatavaran Anukool Fasal Awashesh Nivaran) योजना को लेकर हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार ने इस योजना की इम्प्लीमेंटेशन (कार्यान्वयन) की समयसीमा को 5 वर्ष तक बढ़ाने का फैसला किया है. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य देश में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना और वायु प्रदूषण को कम करना है.

योजना की शुरुआत
Pradhan Mantri JI-VAN योजना की शुरुआत 2019 में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में जैविक कचरे से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना है. इथेनॉल एक प्रकार का जैविक ईंधन है, जिसे गन्ने के अपशिष्ट, फसल के अवशेष और अन्य जैविक कचरे से तैयार किया जा सकता है. इस योजना के तहत, सरकार का लक्ष्य था कि देश में इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए, जिससे पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता कम हो और प्रदूषण में भी कमी आए.
इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने 12 वाणिज्यिक बायो-रिफाइनरियों की स्थापना का प्रस्ताव किया था, जिससे हर साल लगभग 700 मिलियन लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके. हालांकि, योजना के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि तकनीकी कठिनाइयाँ, वित्तीय संकट, और कोविड-19 महामारी के कारण हुए विभिन्न अड़चनें. इन सभी कारणों के चलते इस योजना का क्रियान्वयन समय पर नहीं हो पाया.

योजना की समयसीमा को 5 वर्ष तक बढ़ाया गया
योजना की समीक्षा के बाद, केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि योजना की समयसीमा को 5 वर्ष तक बढ़ा दिया जाए. इसका अर्थ यह है कि अब इस योजना के लक्ष्यों को 2029 तक प्राप्त किया जाएगा. इस विस्तार से उम्मीद है कि योजना के तहत स्थापित होने वाली बायो-रिफाइनरियाँ सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगी और इथेनॉल उत्पादन में वांछित वृद्धि हो सकेगी. सरकार का मानना है कि इस योजना के सफल कार्यान्वयन से देश में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा. साथ ही, यह कदम किसानों के लिए भी लाभदायक होगा क्योंकि उन्हें अपने फसल के अवशेषों का उचित मूल्य मिलेगा. यह योजना देश के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी.
Pradhan Mantri JI-VAN योजना में हुआ यह संशोधन एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है, जो देश को स्वच्छ और हरित ऊर्जा की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा.