बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को मायावती को फिर से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. यह चुनाव सर्वसम्मति से किया गया और मायावती को अगले पांच वर्षों के लिए अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस निर्णय की घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने की. मायावती, जो 2003 से लगातार बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने एक बार फिर पार्टी की कमान संभाल ली है.
बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
लखनऊ स्थित बसपा कार्यालय में आयोजित इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों के साथ-साथ प्रदेश की दस सीटों पर होने वाले उपचुनावों की रणनीति पर भी चर्चा की गई. बैठक में बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों और ऑल इंडिया व स्टेट पार्टी यूनिट के नेताओं की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही.
मायावती का पुनर्नियुक्ति और पार्टी की रणनीति
मायावती की पुनर्नियुक्ति के बाद, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने आगामी चुनावों की तैयारियों पर भी विचार किया. बसपा की अध्यक्षता के लिए हर पांच साल पर चुनाव होता है और मायावती का अध्यक्ष चुना जाना पार्टी के अंदर स्थिरता को दर्शाता है. मायावती के नेतृत्व में, पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों और उपचुनावों के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया है. इसके साथ ही, पार्टी की विशेष बैठक में प्रत्याशियों के चयन पर भी विचार-विमर्श किया गया.
आकाश आनंद की भूमिका में संभावित बदलाव
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की भूमिका भी बढ़ाई जा सकती है. आकाश आनंद, मायावती के भतीजे हैं और उनकी भूमिका पार्टी में महत्वपूर्ण रही है. हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व करार दिया था और उनके अधिकार सीमित कर दिए थे, अब एक बार फिर उनकी भूमिका को बढ़ाया जा सकता है. आकाश आनंद के कद में संभावित वृद्धि पार्टी के भीतर नई रणनीतियों को लागू करने में सहायक हो सकती है.
जनाधार को पुनः प्राप्त करने की तैयारी
मायावती ने बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों और उपचुनावों की तैयारियों पर चर्चा की. इसके अलावा, उन्होंने दलित आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने की योजना बनाई है। मायावती ने केंद्र सरकार से संसद में एक बिल लाकर कोर्ट के फैसले को पलटने की मांग की है. यह कदम उनकी जनाधार को पुनः प्राप्त करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. मायावती का यह इमोशनल मुद्दा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.
निष्कर्ष
मायावती की फिर से बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति और पार्टी की आगामी चुनावों की तैयारी दर्शाती है कि बसपा में स्थिरता और रणनीतिक बदलाव की दिशा में काम हो रहा है. पार्टी की वरिष्ठ नेताओं की बैठक और आकाश आनंद की भूमिका में संभावित वृद्धि, बसपा के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं.