महालक्ष्मी व्रत का महत्व और तिथियां
गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद शुरू होने वाले महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत हर साल खासतौर पर उन भक्तों द्वारा रखा जाता है जो देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं. महालक्ष्मी व्रत 2024 इस साल 12 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है और यह लगभग 14 दिनों तक चलता है. इस व्रत के दौरान भक्त विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं, जिससे कि मां लक्ष्मी की कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है.
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत के दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से करें. स्नान के बाद, घर के मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें. फिर चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल) से स्नान कराएं.
पूजा के दौरान, लाल सूत, सुपारी, नारियल, चंदन, पुष्प, अक्षत, फल इत्यादि अर्पित करें. मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं भी चढ़ाएं, जैसे इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर और बिंदी.
दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की आरती करें और मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. इसके बाद, मंत्रों का जप करें. पूजा के अंत में, फल, मिठाई, कुट्टू के आटे के पकोड़े और साबूदाने की खीर का भोग अर्पित करें.
महालक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री
महालक्ष्मी व्रत की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- कपूर
- घी
- दीपक
- अगरबत्ती
- धूपबत्ती
- सुपारी
- साबुत नारियल
- कलश
- 16 श्रृंगार की वस्तुएं जैसे इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर और बिंदी.
मां लक्ष्मी के मंत्र
महालक्ष्मी व्रत के दौरान आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं:
“या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
धिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥”
अस्वीकृति
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