Kuber Dev
वास्तु शास्त्र में कुबेर देव को धन और समृद्धि का देवता माना जाता है. कुबेर देव की कृपा से घर में धन की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसलिए, कुबेर देव की दिशा और स्थान का विशेष महत्व है. सही दिशा में कुबेर देव की पूजा और स्थान से धन और समृद्धि के द्वार खुलते हैं, जबकि गलत दिशा में रखने से घर में आर्थिक समस्याएँ आ सकती हैं.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुबेर देव की दिशा उत्तर (उत्तर) मानी गई है. यह दिशा धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है. उत्तर दिशा को शीतल और स्थायी दिशा कहा गया है, जो स्थायित्व और स्थिरता का प्रतीक है. इस दिशा में कुबेर देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करने से घर में धन और समृद्धि का वास होता है.
जब आप कुबेर देव की मूर्ति या चित्र उत्तर दिशा में स्थापित करते हैं, तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. सबसे पहले, इस दिशा में किसी भी प्रकार का कूड़ा-कचरा या अनावश्यक सामान नहीं रखना चाहिए. इससे धन की आवक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा, इस दिशा में भारी सामान या धातु की वस्तुएं रखने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह रुक सकता है और धन की कमी हो सकती है. उत्तर दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए. इसके साथ ही, इस दिशा में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए. कुबेर देव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करते समय ध्यान रखें कि वे एक ऊँचाई पर हों और उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो. इससे धन की आवक में वृद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में कुबेर देव की कृपा बनी रहे, तो आपको उनके पूजा स्थल को नियमित रूप से साफ करना चाहिए और वहाँ धूप-दीप जलाना चाहिए. इसके साथ ही, कुबेर मंत्रों का जाप करना भी शुभ होता है. इससे कुबेर देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं.