क्रांतिकारी बाबा बंचित सिंह , भारत को आज़ाद करने में बड़ी भूमिका निभाई

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कहा हुआ था बाबा का जन्म

बाबा बंचित सिंह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सिख धार्मिक नेता थे. उनका जन्म 1895 में पंजाब के अमृतसर जिले में हुआ था. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों में शामिल हुए.बाबा बंचित सिंह 1909 में कनाडा चले गए थे. उन्होंने ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर में एक लंबर मिल में काम किया, और बाद में उन्होंने फ्रेजर मिल में भी काम किया.

कनाडा में, बाबा बंचित सिंह ने भारतीय समुदाय के साथ जुड़े और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्थन जुटाने का काम किया. उन्होंने गदर पार्टी के साथ मिलकर काम किया, जो एक क्रांतिकारी संगठन था जो भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रहा था.बाबा बंचित सिंह के कनाडा प्रवास के दौरान, उन्होंने अपने धार्मिक और राजनीतिक विचारों को विकसित किया और उन्होंने भारतीय समुदाय के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया.

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वह भारत वापस कब आए

उनकी वापसी के समय, भारत में स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था, और बाबा बंचित सिंह ने इस आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया. उन्होंने अपने जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया और एक सच्चे देशभक्त के रूप में याद किए जाते हैं.

बाबा बंचित सिंह 1914 में कनाडा से भारत लौट आए थे. उनकी वापसी के समय, भारत में स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था, और बाबा बंचित सिंह ने इस आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया.भारत लौटकर, बाबा बंचित सिंह ने गदर पार्टी के साथ मिलकर काम किया और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों में शामिल हुए. उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और जेल में रखा गया, लेकिन उन्होंने अपने विचारों और आदर्शों को नहीं छोड़ा.उन्होंने सिख युवाओं को शिक्षित करने और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए काम किया.

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साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में थे शामिल

बाबा बंचित सिंह ने साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जब यह कमीशन 1928 में भारत आया था। साइमन कमीशन का उद्देश्य भारत में संवैधानिक सुधारों की सिफारिश करना था, लेकिन भारतीय राष्ट्रवादियों ने इसे एक दिखावा माना और इसका विरोध किया.बाबा बंचित सिंह ने साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें उन्होंने “साइमन वापस जाओ” के नारे लगाए थे. उन्होंने लाहौर में एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया था, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे.

बाबा बंचित सिंह को 1920 में ब्रिटिश सरकार ने उनके गांव, लालपुरा को स्वतंत्र घोषित करने और एक स्वतंत्र सरकार स्थापित करने के कारण गिरफ्तार किया था. ब्रिटिश सरकार ने इसे एक देशद्रोही कार्य माना और उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया.बाबा बंचित सिंह को उनके क्रांतिकारी विचारों और गतिविधियों के कारण भी गिरफ्तार किया गया था. वह गदर पार्टी के साथ जुड़े हुए थे और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों में शामिल हुए थे.

बाबा बंचित सिंह जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक नायक और सामाजिक और धार्मिक सुधार के एक चैंपियन के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत आज भी सिखों और गैर-सिखों को प्रेरित करती है, और उनके योगदान को भारतीय इतिहास में अभी भी मनाया जाता है.

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