हाल ही में, Infosys ने 2000 ग्रेजुएट्स की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में दो साल से अधिक की देरी करने की शिकायत का सामना किया है. यह खबर न केवल उन ग्रेजुएट्स के लिए चिंताजनक है, जिन्होंने इस कंपनी के साथ नौकरी की उम्मीद की थी, बल्कि पूरी आईटी इंडस्ट्री के लिए भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.
शिकायत की प्रकृति और पृष्ठभूमि
Infosys , एक प्रमुख भारतीय आईटी सर्विसेज कंपनी है, जो अपने कर्मचारियों की भर्ती और विकास के लिए प्रसिद्ध है. हाल ही में, कंपनी ने 2000 ग्रेजुएट्स की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में अनावश्यक देरी की है, जिसके चलते एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है. यह मामला तब सामने आया जब इन ग्रेजुएट्स ने लंबी अवधि के बावजूद अपने नियुक्ति पत्र या नौकरी की शुरुआत की तारीख प्राप्त नहीं की थी.
ग्रेजुएट्स ने कंपनी के खिलाफ शिकायत में आरोप लगाया है कि उन्हें पिछले दो साल से भी अधिक समय से इंतजार कराना पड़ा है, जबकि उनके द्वारा किए गए सभी चयन प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी थीं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी या त्वरित समाधान नहीं प्रदान किया गया, जिससे उनकी चिंताएँ और बढ़ गईं.
समस्या के संभावित कारण
इस मुद्दे के कई संभावित कारण हो सकते हैं
- र्थिक चुनौतियाँ: कोविड-19 महामारी और आर्थिक मंदी के चलते कई कंपनियों ने अपने भर्ती और ऑनबोर्डिंग कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया था. इंफोसिस भी इससे अछूती नहीं रही होगी, और इसकी वजह से भर्ती प्रक्रिया में देरी हुई हो सकती है.
- भर्ती की योजनाओं में बदलाव: कंपनी ने अपनी भर्ती योजनाओं में बदलाव किया हो सकता है, जैसे कि भर्ती के लक्ष्यों में संशोधन या भर्ती की गति में कमी, जिसके कारण ग्रेजुएट्स की ऑनबोर्डिंग में देरी हुई है.
- आंतरिक व्यवस्थापन की समस्याएँ: कंपनी के आंतरिक व्यवस्थापन या प्रशासनिक समस्याएँ भी इस देरी का कारण हो सकती हैं. इससे जुड़े दस्तावेज़ों, अनुमोदनों या अन्य प्रक्रियाओं में व्यवधान आ सकता है.
प्रभाव और परिणाम
अगर Infosys इस मुद्दे का शीघ्र समाधान नहीं करती है, तो यह कंपनी की छवि को प्रभावित कर सकता है और संभावित कर्मचारियों के बीच असंतोष उत्पन्न कर सकता है. साथ ही, यह एक व्यापक चर्चा का विषय बन सकता है कि आईटी कंपनियाँ भर्ती प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करें.