Provident Fund
Provident Fund (PF) एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसे कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के रूप में भी जाना जाता है. यह योजना सरकारी और निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए होती है. पीएफ PF का एक हिस्सा कर्मचारी के वेतन से काटा जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा नियोक्ता द्वारा योगदान किया जाता है. इस फंड का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.
पेंशन कैसे मिलती है?
पेंशन पाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की कुछ शर्तें होती हैं. सबसे पहले, कर्मचारी का पीएफ अकाउंट एक्टिव होना चाहिए, और उसमें नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान नियमित रूप से होना चाहिए. जब कर्मचारी की उम्र 58 साल हो जाती है और उसने कम से कम 10 साल तक PF पीएफ में योगदान किया होता है, तो उसे पेंशन के लिए पात्र माना जाता है.
इसके अलावा, 58 साल की उम्र के बाद कर्मचारी को पेंशन स्कीम के तहत नियमित मासिक पेंशन मिलती है. अगर कोई कर्मचारी 58 साल की उम्र से पहले रिटायर हो जाता है और उसने 10 साल से कम का योगदान किया है, तो उसे पेंशन के लिए पात्र नहीं माना जाएगा. इस स्थिति में, उसे अपने योगदान की राशि एकमुश्त (लम्प सम) के रूप में मिलती है.
कितने साल की नौकरी जरूरी?
पेंशन के लिए पात्र होने के लिए कम से कम 10 साल तक PF पीएफ में योगदान करना अनिवार्य है. इसका मतलब यह है कि किसी कर्मचारी को पेंशन का लाभ तभी मिलेगा जब उसने कम से कम 10 साल तक किसी कंपनी में काम किया हो और उस दौरान उसका पीएफ काटा गया हो. यदि कोई कर्मचारी 10 साल से कम समय तक काम करता है, तो उसे पेंशन का लाभ नहीं मिल सकेगा.
क्या कहता है नियम?
EPFO के नियमों के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है और उसने कम से कम 10 साल तक पीएफ में योगदान किया है, तो उसके परिवार को भी पेंशन मिल सकती है. इसके अलावा, यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु नौकरी के दौरान हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन का लाभ मिलता है, चाहे उसने 10 साल से कम का योगदान ही क्यों न किया हो.
नियमों के अनुसार, PF पीएफ का योगदान हर महीने कर्मचारी के वेतन से काटा जाता है. यह योगदान 12% होता है, जिसमें से 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है. इस प्रकार, यह योजना न केवल सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि नौकरी के दौरान भी कई लाभ देती है.