गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित गोवर्धन पर्वत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. इस पर्वत का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रमुख कथा से है. मान्यता है कि जब इंद्र देव ने भारी बारिश की थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गांववासियों की रक्षा की थी. इस घटना के बाद से गोवर्धन पर्वत हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है और यहां की परिक्रमा को अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है.
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का महत्व
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी बड़ा है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जीवन में कम से कम एक बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए. इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु इस पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं, खासकर गोवर्धन पूजा के दिन जो कि दीपावली के एक दिन बाद होती है.
गोवर्धन से शिला लाना क्यों है अशुभ?
अक्सर लोग धार्मिक स्थलों से कुछ यादगार के तौर पर वस्तुएं अपने घर ले आते हैं. इसी प्रकार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय कई लोग वहां से शिला (पत्थर) उठाकर अपने घर ले आते हैं. लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करना अत्यंत अशुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत से शिला घर लाने पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी नाराज हो सकते हैं. इससे घर में सुख-शांति भंग हो सकती है और कई प्रकार के दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.
शिला लाने से कैसे बचें दुष्परिणाम?
यदि किसी ने भूलवश गोवर्धन की शिला अपने घर ले आई हो, तो इसका समाधान भी धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है. मान्यता के अनुसार, शिला के बराबर वजन का सोना गोवर्धन पर्वत को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की नाराजगी समाप्त हो जाती है और दुष्परिणाम से बचा जा सकता है.
गोवर्धन की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव
गोवर्धन पर्वत की यात्रा एक गहरी आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है. यहां की परिक्रमा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का भी एक माध्यम है. इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं को महसूस करते हैं, जो उन्हें ईश्वर के और करीब ले जाती है.
निष्कर्ष
गोवर्धन पर्वत से शिला घर ले आना धार्मिक दृष्टिकोण से उचित नहीं माना जाता. इससे बचने के लिए बेहतर है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें, वहां की महिमा का आनंद लें और किसी भी प्रकार की वस्तु को अपने साथ न लाएं. इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और ईश्वर की कृपा प्राप्त होगी.