विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपना पहला विदेशी दौरा श्रीलंका किया
एस. जयशंकर ने श्रीलंका पहुंच कर दोनों देशों के बीच आपसी मेलजोल और सहयोग पर दिया जोर
एस. जयशंकर ने फिर एक बार विदेश मंत्री का पद हासिल कर अपनी पहली विदेश यात्रा का दौरा श्रीलंका की राजधानी कोलंबो का किया. जहां उनका स्वागत थारक बालासुरिया (श्रीलंका के विदेश राज्य मंत्री ) तथा सेंथिल थोडामन (श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के गवर्नर) ने बहुत खुशी से किया गया. थारक बालासूरिया और सेंथिल थोडामन के जोरदार स्वागत के लिए विदेश मंत्री जयशंकर ने उन दोनों का धन्यवाद किया. विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह यात्रा सागर और भारत के पड़ोसी देशो के लिए ‘पड़ोसी पहले नीति’ के तहत है.
यात्रा के दौरान साझेदारी के मुद्दों पर होगी बैठक
विदेश मंत्रालय के अनुसार यह यात्रा दोनों देशों भारत और श्रीलंका के लिए लाभकारी साबित होगी और साथ ही दोनों देशों के आपसी मेलजोल को बनाए रखने के लिए भी लाभदायक है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी समझौते और साझेदारी जैसे कई मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे.
जी-7 आउटरीच शिखर- सम्मेलन का आयोजन जो की इटली के पुलिया क्षेत्र में किया गया था उसमें भी एस. जयशंकर मोदी के मुख्य सलाहकारों में से एक थे. यह बहुत गौरव की बात है कि एस. जयशंकर ने फिर से एक बार नई सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल कर भारत के पड़ोसी कूटनीतिक रूप को दिशा देने का काम संभाला है.
भारत से श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने जताई मदद की उम्मीद
श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे का कहना है कि “इस समय हमारा पड़ोसी देश भारत औद्योगिक क्षेत्र में दिन पर दिन विकास करता जा रहा है और यह भारत में औद्योगिक विकास का दौर चल रहा है. भारत का दक्षिणी हिस्सा जैसे की आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और तेलंगाना इस दौर का एहसास कर रहे हैं. और हम भी इस दौर में शामिल होना चाहते हैं तथा औद्योगिक विकास का लाभ उठाना चाहते हैं जिसके लिए हमें भारत के साथ की जरूरत है”.
राष्ट्रपति विक्रम सिंह भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में भी विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर से विचार विमर्श करेंगे. विक्रम सिंह ने कहा कि वह भारत के साथ मिलकर तरल हाइड्रोजन प्राप्त करना , पवन ऊर्जा और सोलर एनर्जी जैसे कुछ क्षेत्रों में काम करने की उम्मीद रखते हैं