Ed का डर।विपक्षी हो रहे बेघर।

vipaskhsi

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्लियामेंट चैंबर में 16 विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बैठक की। यहां तय हुआ कि अडाणी मामले की जांच को लेकर एक चिट्ठी लिखी जाएगी, जिस पर सभी विपक्षी सांसदों के दस्तखत होंगे। इसे ED को सौंपा जाएगा और जांच की मांग की जाएगी।

जब विपक्षी दलों के नेता मार्च के लिए निकले, तो उन्हें ED दफ्तर से पहले ही रोक लिया गया। खड़गे बोले- ‘हम तो सिर्फ ED के ऑफिस जाकर अडाणी मामले की डिटेल इन्वेस्टिगेशन के लिए शिकायती चिट्‌ठी देना चाहते थे। हमें रोकना कौन सा लोकतंत्र है।

तो वहीं विपक्ष पार्टी के कई नेता इस तरीके के बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह लोकतंत्र की हत्या कर रही है। हाल ही में राहुल गांधी ने भी इस तरीके का एक बड़ा आरोप लगाया था जब विदेश मैं थे तब उन्होंने कहा था कि हमारे माइक को बंद कर दिया जाता है। हमें बोलने से रोक दिया जाता है इसके बाद भी कई अलग-अलग पार्टी के नेता चाहे वह आपकी बात करें चाहे सपा की बात करें जय बसपा की बात करें तो जहां पर भी रहती है वहां पर नेता की बौखलाहट नजर आती है।

ED को लेकर इतने बेचैन क्यों हैं विपक्षी दल

पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक भ्रष्टाचार के मामलों में जांच एजेंसी ईडी ने लगातार सक्रियता दिखाई है। वह एक के बाद एक कई छापे मार रही है और गिरफ्तारियां भी कर रही है। हालांकि ईडी के निशाने पर लगभग सारे विपक्षी नेता और राजनीतिक दल ही रहे। इसी वजह से इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई। विपक्षी दल ईडी को सरकार और बीजेपी का टूल बताने लगे हैं

सरकार और बीजेपी विपक्षी दलों के नेताओं पर कसते ईडी के शिकंजे को करप्शन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के रूप में प्रॉजेक्ट कर रही है। वहीं विपक्षी दल इस मसले पर जनता की सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष इसे अपने नेताओं को परेशान करने या विपक्ष शासित राज्य को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा बता रहा है। कुल मिलाकर संकेत साफ हैं कि आने वाले समय में ईडी की तमाम कार्रवाई अगले आम चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही रहेगा कि क्या चुनावों में भ्रष्टाचार निर्णायक मुद्दा बन सकता है

CBI और NIA से भी ज्यादा पावर ED के पास

आपको 2020 का वो किस्सा तो याद होगा, जब एक के बाद एक 8 राज्यों ने CBI को अपने यहां बिना परमिशन घुसने से रोक दिया था। इनमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम जैसे राज्य शामिल थे।

मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत बनी CBI को किसी भी राज्य में घुसने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है। हां, अगर जांच किसी अदालत के आदेश पर हो रही है तब CBI कहीं भी जा सकती है। पूछताछ और गिरफ्तारी भी कर सकती है। करप्शन के मामलों में अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए CBI को उनके डिपार्टमेंट से भी अनुमति लेनी होती है।

इसी तरह नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी यानी NIA को बनाने की कानूनी ताकत NIA Act 2008 से मिलती है। NIA पूरे देश में काम कर सकती है, लेकिन उसका दायरा केवल आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित है।

इन दोनों से उलट ED केंद्र सरकार की इकलौती जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। ED छापा भी मार सकती है और प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है। हालांकि, अगर प्रॉपर्टी इस्तेमाल में है, जैसे मकान या कोई होटल तो उसे खाली नहीं कराया जा सकता।

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में ED जिसे गिरफ्तार करती है, उसे जमानत मिलना भी बेहद मुश्किल होता है। इस कानून के तहत जांच करने वाले अफसर के सामने दिए गए बयान को कोर्ट सबूत मानता है, जबकि बाकी कानूनों के तहत ऐसे बयान की अदालत में कोई वैल्यू नहीं होती।

सिसोदिया भी Ed शिकंजे में।

22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उप राज्यपाल ने नई शराब नीति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश की। 19 अगस्त को CBI ने शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया के आवास समेत 21 जगहों पर छापेमारी की।

सिसोदिया समेत 15 को आरोपी बनाया। 14 अक्टूबर 2022 को ED ने 25 ठिकानों पर छापेमारी की। 26 फरवरी 2023 को CBI सिसोदिया से 8 घंटे पूछताछ करती है। इसके बाद शाम को सिसोदिया को CBI गिरफ्तार कर लेती है।

9 मार्च 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद ED ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।

विपक्षी दलों के आरोप के बाद ED ने डेटा जारी किया

विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद ED ने बुधवार को 31 जनवरी 2023 तक दर्ज केसों के बारे में डेटा जारी किया है। ED के मुताबिक, PMLA कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5,906 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से सिर्फ 2.98% यानी 176 केस विधायक, पूर्व विधायक, MLC, सांसद, पूर्व सांसदों के खिलाफ दर्ज किए गए।

इन केसों में से 1,142 में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 25 केस में ट्रायल पूरा हो चुका है। 24 केसों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं, जबकि एक में बरी कर दिया गया। ED के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत के तहत इन 24 केसों में 45 आरोपी दोषी पाए गए हैं

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