जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला दही हांडी उत्सव भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को आयोजित किया जाता है. इस साल यह पर्व 27 अगस्त 2024 को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस दिन की खास रौनक महाराष्ट्र और गुजरात में विशेष रूप से देखने को मिलती है. दही हांडी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है और इसकी परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है.
दही हांडी की शुरुआत कैसे हुई?
दही हांडी उत्सव का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल्यकाल में गोपियों के घरों से माखन और मिश्री चुराकर खाते थे. गोपियां इस बाल लीला से परेशान होकर माखन की मटकी को ऊंचे स्थान पर लटकाने लगीं ताकि श्रीकृष्ण उसे न ले सकें. लेकिन श्रीकृष्ण और उनके सखा ऊंची मटकी तक पहुंचने के लिए मानव पिरामिड बनाकर उसे फोड़ देते थे. इसी लीला की याद में आज भी दही हांडी उत्सव मनाया जाता है, जहां मटकी को ऊंचाई पर लटकाया जाता है और युवा टोलियां पिरामिड बनाकर उसे फोड़ने का प्रयास करती हैं.
कैसे मनाया जाता है दही हांडी उत्सव?
दही हांडी उत्सव को मनाने के लिए मटकी में दही, माखन, और मिश्री भरकर ऊंचाई पर लटकाया जाता है। इसके बाद युवाओं की टोलियां, जिन्हें ‘गोविंदा’ कहा जाता है, मानव पिरामिड बनाकर इस मटकी को फोड़ने का प्रयास करती हैं. मटकी को फोड़ने वाली टोली को विजेता घोषित किया जाता है, और उन्हें इनाम के रूप में धनराशि या अन्य पुरस्कार दिए जाते हैं.
महाराष्ट्र और गुजरात में दही हांडी का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जाता है, जहां गोविंदाओं की टोलियां नाचते-गाते हुए मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता में भाग लेती हैं. इस दिन खासतौर पर मुंबई और पुणे जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं.
इस साल कब है दही हांडी?
2024 में, कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी, और इसके अगले दिन यानी 27 अगस्त, मंगलवार को दही हांडी उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन पूरे देश में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, और गोविंदा टोलियां मटकी फोड़ने के लिए जुटेंगी। इस पर्व के दौरान धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्साह भी चरम पर होता है.
निष्कर्ष
दही हांडी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है, जो हमें उत्सव और आनंद के साथ-साथ सामाजिक एकता का संदेश भी देता है. यह पर्व न केवल भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा को प्रकट करता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है. इस वर्ष, 27 अगस्त को दही हांडी का उत्सव मनाकर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण करें और इस सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाएं.