बिहार में सुल्तानगंज फोरलेन पुल का हिस्सा गिरा
बिहार में एक बार फिर से पुल ध्वस्त होने की घटना सामने आई है. सुल्तानगंज फोरलेन पुल के पिलर संख्या 9 का शेष बचा हिस्सा शनिवार सुबह अचानक गंगा में समा गया. इस हादसे के बाद इतनी जोर की आवाज आई कि ऐसा लगा मानो कोई भूचाल आया हो. आसपास के लोग डर के मारे भागने लगे, वहीं पुल निर्माण से जुड़े अधिकारी भी मौके से फरार हो गए.
तीसरी बार ध्वस्त हुआ अगुवानी सुल्तानगंज फोरलेन पुल
अगुवानी सुल्तानगंज फोरलेन पुल का यह तीसरी बार है जब कोई हिस्सा ध्वस्त हुआ है. इससे पहले 30 अप्रैल 2022 को पिलर संख्या 5 हवा के झोंके से गिर गया था. इसके बाद 4 मई 2023 को पिलर संख्या 9, 10, 11 और 12 का सुपर स्ट्रक्चर गंगा में समा गया था. पुल का निर्माण 2015 में एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा शुरू किया गया था और इसकी लागत 1710 करोड़ रुपये है.
गंगा में आई बाढ़ और तेज बहाव बना कारण
इस बार के हादसे के पीछे गंगा में आई बाढ़ और तेज बहाव को प्रमुख कारण माना जा रहा है. पिलर संख्या 9 पर सुपर स्ट्रक्चर का जो हिस्सा बचा हुआ था, वह अचानक ढहकर पानी में समा गया. जैसे ही यह हिस्सा गिरा, गंगा के पानी में लगभग 100 फीट ऊंचा उछाल आया, जिससे दो किलोमीटर तक लहरें भयानक रूप से हिलने लगीं.
अधिकारियों ने मौके से खींचे कदम
इस घटना के तुरंत बाद, वहां स्नान कर रहे कांवड़िये और स्थानीय लोग दहशत में आ गए और भाग खड़े हुए. पुल निर्माण कंपनी से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी जगह से फरार हो गए. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने गंगा के किनारे पहुंचकर इस हादसे का जायजा लिया, लेकिन कोई यह बताने वाला नहीं था कि पुल का इतना बड़ा हिस्सा अचानक कैसे ध्वस्त हो गया.
पिछले हादसों की जांच जारी
2022 में पिलर संख्या 5 और 6 पर चढ़ाए जा रहे 54 सेगमेंट हवा के कारण गिर गए थे. उस समय आईआईटी रुड़की, मुंबई और खड़गपुर की टीमों ने आकर निर्माण सामग्री की जांच की थी और इसे मानक के अनुरूप पाया था. फिर भी, 2023 में पिलर संख्या 9 से 12 तक का हिस्सा गंगा में गिर गया, जिसकी जांच अभी भी चल रही है. पटना हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि नई डिजाइन के मुताबिक पिलर संख्या 9 से 13 के बीच स्टील ब्रिज का निर्माण किया जाएगा, लेकिन इससे पहले ही यह हादसा हो गया.
13 अगस्त को पिलर से टकराया था लंच
13 अगस्त को एक लंच (छोटा जहाज) पिलर संख्या 9 से टकरा गया था। यह घटना तब हुई थी जब लंच सुल्तानगंज से अगुवानी जा रहा था. लंच टकराने से पिलर का सपोर्टिंग एरिया कमजोर हो गया था, जो तेज बहाव के कारण धीरे-धीरे झुकता चला गया और अंततः पिलर संख्या 9 का हिस्सा गंगा में समा गया.
लोगों में आक्रोश
इस हादसे ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ पूरे राज्य में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है. पुल का बार-बार ध्वस्त होना निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है, जबकि इस पुल के बनने से खगड़िया, सहरसा, और मधेपुरा के लोगों को बड़ी राहत मिलनी थी.