केंद्र सरकार ने हाल ही में लेटरल एंट्री के लिए जारी विज्ञापनों पर रोक लगाने का फैसला किया है. इस फैसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने संविधान और आरक्षण व्यवस्था की रक्षा की बात कही. इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के बयान पर तीखा जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार पर सवाल उठाए हैं.
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार के लेटरल एंट्री के विज्ञापनों पर रोक के फैसले के बाद राहुल गांधी ने सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी भाजपा की “लेटरल एंट्री” जैसी साजिशों को नाकाम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, “संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करेंगे.” उन्होंने आगे कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़कर जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.
भाजपा का पलटवार
राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी की पार्टी की आरक्षण और एससी-एसटी, ओबीसी के मुद्दों पर “खानदानी विरासत” किसी से छिपी नहीं है. त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए पूछा कि जब उनके पिता राजीव गांधी की सरकार थी, तब उन्होंने ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं दिया था. उन्होंने बताया कि जिन कैबिनेट सचिवों को राहुल गांधी के पिता की सरकार ने नियुक्त किया था, वे 1987 बैच के थे और उस समय ओबीसी आरक्षण की बात नहीं की गई थी.
सरकार के पत्र में क्या कहा गया?
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में बताया कि लेटरल एंट्री के विज्ञापनों पर रोक लगाने का फैसला व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया गया है. पत्र में कहा गया है कि सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. यह भी कहा गया कि लेटरल एंट्री के लिए जारी पद विशेष हैं और इन पर नियुक्तियों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. सरकार इस प्रक्रिया की समीक्षा कर रही है ताकि जरूरत के अनुसार इसमें सुधार किया जा सके, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय की ओर है.
भाजपा की सफाई
केंद्र सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका अपनाया है. यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी, जिससे प्रशासन में सुधार होगा. भाजपा ने यह भी कहा कि लेटरल एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस शासनकाल के दौरान लाया गया था, और कांग्रेस ने भी मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, और सैम पित्रोदा जैसे लोगों को लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकार का हिस्सा बनाया था.
निष्कर्ष
लेटरल एंट्री को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखा विवाद देखने को मिल रहा है. राहुल गांधी ने जहां भाजपा पर संविधान और आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया, वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए उनके परिवार की राजनीतिक विरासत और उनकी पार्टी की नीति पर सवाल खड़े किए हैं. इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, जिससे देश में राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है.