बाढ़ से लगातार बढ़ रही है लोगों की मुश्किलें
असम में इस साल की बाढ़ ने गंभीर तबाही मचाई है. राज्य के कई इलाकों में भारी बारिश और नदीयों के जलस्तर में वृद्धि से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. इस प्राकृतिक आपदा ने लगभग 27 लाख लोगों को प्रभावित किया है, जिनमें से कई को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है. बाढ़ का सबसे अधिक प्रभाव काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पर पड़ा है काजीरंगा अपनी जैव विविधता और विशेष रूप से एक-सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध है. बाढ़ के कारण इस उद्यान में 137 जंगली जानवरों की मौत हो गई है. इनमें गैंडे, हिरण, जंगली सूअर और अन्य कई प्रजातियां शामिल हैं. बाढ़ का पानी उद्यान के बड़े हिस्से को डुबो चुका है, जिससे जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का मौका नहीं मिल पाया.
राहत और बचाव के लिए कार्य जारी
सरकार और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां लोगों को खाने-पीने का सामान, दवाइयां और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें भी बचाव कार्यों में सक्रिय हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लिया क्षेत्रों का जायजा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और राहत कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. असम में बाढ़ की समस्या एक प्रमुख चुनौती है और हर साल मानसून के दौरान राज्य को इसका सामना करना पड़ता है. इसके समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाएं और बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके.
इस बाढ़ ने न केवल लोगों की जान-माल को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि राज्य की वन्यजीव संपदा पर भी गंभीर असर डाला है. इसे ध्यान में रखते हुए, सभी संबंधित पक्षों को मिलकर बाढ़ से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.