अनिल अंबानी की रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अब इलेक्ट्रिक कारों और बैटरी निर्माण में कदम रखने की तैयारी कर रही है. इस महत्वपूर्ण बदलाव के साथ, कंपनी ने चीन की प्रमुख इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी BYD के पूर्व भारत प्रमुख संजय गोपालकृष्णन को सलाहकार नियुक्त किया है. इसके अतिरिक्त, कंपनी ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण संयंत्र की लागत का अध्ययन करने के लिए बाहरी सलाहकारों की नियुक्ति की है. यह कदम रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए नए अवसरों और संभावनाओं को खोल सकता है.
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की योजना
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का लक्ष्य इलेक्ट्रिक कार और बैटरी निर्माण के क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित करना है. कंपनी ने अपनी योजनाओं के अनुसार, पहले चरण में 2.5 लाख वाहनों की वार्षिक निर्माण क्षमता वाले संयंत्र की स्थापना की योजना बनाई है. इसके बाद, इस क्षमता को कुछ वर्षों में बढ़ाकर 7.5 लाख वाहन प्रति वर्ष करने की योजना है. इसके साथ ही, कंपनी 10 गीगावाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) क्षमता वाले बैटरी मैन्युफैक्चरिंग संयंत्र की स्थापना पर भी विचार कर रही है. इस संयंत्र की क्षमता को एक दशक के भीतर 75 जीडब्ल्यूएच तक बढ़ाने की योजना है.
अनिल अंबानी का नया कदम
अनिल अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के इस कदम को लेकर उत्सुकता है. कंपनी ने चीन की BYD के पूर्व भारत प्रमुख संजय गोपालकृष्णन को सलाहकार नियुक्त करके यह सुनिश्चित किया है कि उनकी इलेक्ट्रिक कार निर्माण योजना को व्यावसायिक और तकनीकी दृष्टिकोण से मजबूती मिले. गोपालकृष्णन की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि कंपनी को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के क्षेत्र में आवश्यक अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त होगी.
मुकेश अंबानी की बैटरी मैन्युफैक्चरिंग पहल
इस बीच, अनिल अंबानी के भाई और रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी भी बैटरी निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं. भारत के भारी उद्योग मंत्रालय ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज को 10 गीगावाट-ऑवर (जीडब्ल्यूएच) क्षमता वाले एडवांस्ड केमेस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए चुना है. एसीसी बैटरी तकनीक इलेक्ट्रिक एनर्जी को इलेक्ट्रोकेमिकल एनर्जी के रूप में स्टोर करती है और इसे जरूरत पड़ने पर बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है.
मंत्रालय ने इस चयन का आधार गुणवत्ता और लागत मैकेनिज्म को बताया है। एसीसी बैटरी का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा पावर बैक जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिससे इसकी मांग में वृद्धि हो सकती है. मुकेश अंबानी की कंपनी इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की तैयारी में है.
समापन
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की इलेक्ट्रिक कार और बैटरी निर्माण की योजनाएं अनिल अंबानी के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई हैं. इस कदम से न केवल कंपनी की स्थिति में सुधार हो सकता है, बल्कि भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों की बढ़ती मांग को पूरा करने में भी मदद मिल सकती है. इस तरह की पहलों से भारत के इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण क्षेत्र में नए युग की शुरुआत हो सकती है.