भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीए) के सम्मेलन और महासभा की मेज़बानी करने जा रहा है. यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम 25 से 30 नवंबर 2024 तक दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होगा. इस सम्मेलन के दौरान वैश्विक सहकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण चर्चाएं और घोषणाएं की जाएंगी.
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की शुरुआत
सम्मेलन की मेज़बानी भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत को इस वैश्विक मंच की मेज़बानी का मौका मिला है. संयुक्त राष्ट्र के निर्देशानुसार, इस सम्मेलन के साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की भी आधिकारिक शुरुआत होगी. इस अवसर पर कार्बन उत्सर्जन की भरपाई के लिए 10 हजार पीपल के पौधे लगाए जाएंगे.
अमित शाह की अध्यक्षता में कार्यक्रम
इस सम्मेलन की अध्यक्षता सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इफको के सौजन्य से प्रस्तावित इस कार्यक्रम का विषय होगा – ‘सहकारिता: सबकी समृद्धि का द्वार’. आईसीए के महानिदेशक जेरोन डगलस, सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भुटानी, और इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने सोमवार को एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन के जरिए उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और समृद्धि को सबके द्वार तक पहुंचाना है.
सम्मेलन की थीम और वैश्विक सहभागिता
सम्मेलन की थीम में भारतीय गांवों को प्रमुख स्थान दिया जाएगा. इससे भारतीय सहकारी उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रदर्शित किया जा सकेगा. सम्मेलन में भूटान के प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक परिषद के अध्यक्ष, आईसीए के अध्यक्ष और सदस्य, भारतीय सहकारिता आंदोलन से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के साथ-साथ सौ से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे.
सहकारी क्षेत्र में नवाचार और विकास
सहकारिता सचिव ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए 54 नई पहलों की शुरुआत की गई है. इन पहलों में पैक्सों का कंप्यूटरीकरण और नए क्षेत्रों में सहकारी समितियों का गठन शामिल है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ने में मदद कर रहे हैं.
इफको का योगदान और कार्बन फ्री पहल
इफको की सहायक कंपनी आईएफएफडीसी ने पिछले कुछ वर्षों में कार्बन क्रेडिट अर्जित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है. इस सम्मेलन को भी कार्बन फ्री बनाए जाने की योजना है। इफको महिला सहकारियों की अधिकतम भागीदारी के प्रति प्रतिबद्ध है, और इसके बोर्ड में निदेशक पद पर महिला के लिए एक सीट आरक्षित है.
निष्कर्ष
भारत द्वारा आयोजित यह वैश्विक सहकारिता सम्मेलन सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. यह न केवल भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करेगा बल्कि सहकारिता आंदोलन के माध्यम से समृद्धि को सभी के दरवाजे तक पहुंचाने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा.