राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने विख्यात ब्रांड बॉर्नविटा में शुगर की मात्रा को लेकर खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में इस ब्रांड की निर्माता कंपनी ‘मोंडेलेज इंटरनेशनल’ से कहा है कि वह इससे जुड़े ‘भ्रामक’ विज्ञापन को हटाए। आपको बता दे कुछ दिन पहले एक इंफ्लूएंसर ने बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा पर सवाल उठाए थे। इसने एक वीडियो में कहा था कि बॉर्नविटा की टैग लाइन “तैयारी जीत की” नहीं “तैयारी डायबिटीज की” होनी चाहिए। इसमें कहा गया था कि बॉर्नविटा के पैकेट में आधी मात्रा सिर्फ चीनी की होती है।
भ्रामक विज्ञापन हटाए कंपनी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यूएस की दिग्गज स्नैक्स कंपनी की भारतीय शाखा मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल से रिव्यू करने को कहा है। साथ ही भ्रामक विज्ञापनों और लेबल्स को हटाने को कहा है। बॉर्नविटा मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल द्वारा बनाई जाती है। यह कैडबेरी की सब्सिडियरी कंपनी है।
वीडियो आया था सामने।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में इंफ्लूएंसर रेवंत हिमतसिंग्का ने कहा था कि बॉर्नविटा हेल्थ ड्रिंक नहीं है। उन्होंने वीडियो में कहा था, ‘कोरोना से पहले इम्यून सिस्टम को लेकर बॉर्नविटा के पैकेट पर कोई जानकारी नहीं दी जाती थी। कोरोना के बाद बॉर्नविटा पैकेट के ऊपर इम्यूनिटी सिस्टम को जोड़ दिया गया। जबकि उत्पाद में कोई बदलाव नहीं हुआ था।’
आयोग ने जाने क्या कही बात।
आयोग का कहना है कि उसके पास शिकायत आई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि बॉर्नविटा खुद को बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद हेल्थ ड्रिंक के तौर पर प्रचारित करता है, लेकिन उसमें शुगर की अधिक मात्रा है और कुछ अन्य सामग्री भी हैं जिनसे बच्चों की सेहत पर असर हो सकता है। उसने ‘मोंडेलेज इंटरनेशनल’ की भारत इकाई के प्रमुख दीपक अय्यर को भेजे नोटिस में कहा है कि विज्ञापन भ्रामक है। एनसीपीसीआर ने विज्ञापनों को हटाने के लिए कहा है।