भारत का पेट्रोल-डीजल फोकस: रिफाइनरी क्षमता में वृद्धि, अमेरिका-चीन से आगे

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भारत पेट्रोलियम क्षेत्र में अपनी रिफाइनरी क्षमता बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिससे वह अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों से भी आगे निकल जाएगा. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की फरवरी 2024 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक पेट्रोलियम उत्पादों की वैश्विक मांग का एक चौथाई हिस्सा केवल भारत से आने की उम्मीद है.

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भारत की रिफाइनरी क्षमता में भारी वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले सात वर्षों के भीतर भारत हर साल अपनी रिफाइनरी क्षमता में 10 लाख बैरल प्रतिदिन की वृद्धि करेगा. इस समय, भारत की तेल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) अपनी वर्तमान सालाना रिफाइनरी क्षमता में तीन से चार करोड़ टन की अतिरिक्त क्षमता जोड़ने पर काम कर रही हैं. यह अतिरिक्त क्षमता देश की कुल रिफाइनरी क्षमता को वर्ष 2030 तक 29.5 करोड़ टन सालाना तक ले जाएगी. इस प्रक्रिया में, 1.9 लाख से 2.2 लाख करोड़ रुपये का नया निवेश किया जाएगा. अधिकांश नई क्षमता मौजूदा रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाकर हासिल की जाएगी, जिससे निर्माण प्रक्रिया अधिक सरल और किफायती होगी.

चीन और अमेरिका से आगे निकलने की तैयारी

आज, चीन दुनिया में सबसे अधिक रिफाइनिंग क्षमता वाले देश के रूप में 2.2 करोड़ बैरल प्रति दिन का उत्पादन करता है. हालाँकि, चीन अब मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और नई रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाने में कम रुचि दिखा रहा है. अमेरिका भी इस क्षेत्र में किसी नई रिफाइनरी पर काम नहीं कर रहा है, हालांकि उसकी मौजूदा क्षमता 2 करोड़ बैरल प्रति दिन की है.

वहीं, भारत इस स्थिति में है कि वह अपनी रिफाइनरी क्षमता बढ़ाकर इस क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है. सरकार न केवल बड़े स्तर पर ग्रीनफील्ड रिफाइनरी लगाने पर विचार कर रही है, बल्कि छोटी-छोटी रिफाइनरियों की स्थापना के प्रस्ताव पर भी ध्यान दे रही है. पिछले 10 वर्षों में भारत ने तकरीबन 3.9 करोड़ टन सालाना रिफाइनरी क्षमता जोड़ी है, जिसमें 60% वृद्धि मौजूदा रिफाइनरियों की क्षमता को बढ़ाकर की गई है. इस समय भी सरकारी क्षेत्र की अधिकांश रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाने का काम जारी है.

पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पेट्रोलियम उत्पादों की वैश्विक मांग के केंद्र के रूप में उभर रहा है. IEA की रिपोर्ट भी बताती है कि वर्ष 2030 तक पेट्रोलियम उत्पादों की वैश्विक मांग का 25% हिस्सा भारत से आएगा. अगले सात वर्षों में भारत हर साल 10 लाख बैरल प्रति दिन की अतिरिक्त रिफाइनरी क्षमता जोड़ेगा, जो चीन जैसे बड़े देशों को भी पीछे छोड़ सकता है.

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भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और इथेनॉल मिश्रित ईंधन के इस्तेमाल में बढ़ोतरी के चलते पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में मामूली कमी आ सकती है, फिर भी भारत की आर्थिक विकास दर 7-8% रहने की उम्मीद है. इससे देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग उच्च स्तर पर बनी रहेगी. साथ ही, कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पेट्रोलियम उत्पादों की मांग जारी रहेगी, और भारतीय रिफाइनरियों की नजर इन विदेशी बाजारों पर भी है.

भारत के लिए, यह समय रिफाइनिंग क्षमता में वृद्धि और पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए खुद को इस क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने का है. इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.

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