इस बार नवरात्रि और रमजान को लेकर गजब का संयोग बन रहा है. 22 मार्च से नवरात्र पर्व और 24march से रमजान शुरू होगा. दो धर्म के लोग एक साथ इन दोनों महापर्व को मनाएंगे.
: मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का माह पाक माना जाता है। इस पूरे माह में रोजा रखे जाते हैं और अल्लाह की इबादत करते है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक रमजान नौवां माह है। इसमें 29 से 30 दिन तक रोजा रखा जाता है, जो ईद-उल-फितर के साथ समाप्त होते हैं। रमजान माह में चांद का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी के आधार पर ही रोजा शुरू होते हैं और चांद दिखने के बाद ही ईद का पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस पाक माह में पैगंबर मोहम्मद साहब को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थी। इसलिए इस माह को इतना पवित्र माना जाता है।
कब से शुरू है रमजान?
भारत में रमजान की तारीख चांद को देखने के बाद शुरू होती है। इस साल रमजान का पवित्र माह 24 मार्च, शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही 24 को ही पहला जुमा होगा।
मुस्लिम समुदाय के अनुसार, पहले 10 दिन के रोजा को रहमत, दूसरे 10 दिन रोजा को बरकत और अंतिम 10 दिन के रोजा में मगफिरत कहा जाता है। रोजा के समय दिनभर भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करते हैं और लोगों की सेवा करते हैं। इसके बाद शाम को एक साथ बैठकर खजूर खाने के साथ रोजा खोलते हैं और इसके बाद खाना खाते हैं।
क्या है सहरी और इफ्तार?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान में पूरे 29 या फिर 30 दिन रोजा रखा जाता है। सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है जिसे सहरी कहा जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सहरी के बाद दिनभर बिना खाएं-पिएं रोजा रखा जाता है। इसके बाद शाम को नमाज पढ़ने के बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। इसे इफ्तार कहा जाता है।
पढ़ते हैं पांच वक्त की नमाज
रमजान के समय मुसलमान समुदाय के लोग पांच समय की नमाज़ पढ़ते हैं। जहां सुबह की नमाज को फज्र, दोपहर की नमाज को ज़ुहर (दुहर), शाम से पहले की नमाज को असर, शाम के वक्त की नमाज को मगरिब और शाम के बाद रात में पढ़ी जाने वाली नमाज को इशा कहा जाता है।
शाम में मस्जिदों में विशेष नमाज़ अदा की जाती है जिसे ‘ताराहवी’ कहा जाता है. इस नमाज़ में पूरे कुरान का पाठ किया जाता है। यह सिलसिला ईद का चांद दिखने तक जारी रहता है. इस बार ईद 21 या 22 अप्रैल को पड़ सकती है.।।