Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में प्रीति ने बढ़ाया भारत का मान, 200 मीटर रेस में दिलाया ब्रॉन्ज

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Paris Paralympics 2024

Paris Paralympics 2024 के पांचवे दिन महिला खिलाड़ी प्रीति पाल ने वूमेन्स 200 मीटर रेस में ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल कर भारत का गौरव बढ़ाया है। बता दे की इसी पैरालम्पिक में प्रीति का ये दूसरा ब्रॉन्ज़ मेडल है। इसी के साथ भारत का पेरिस पैरालम्पिक में ये सातवां पदक है। भारत के झोली में अब तक 1 गोल्ड मेडल ,दो सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज़ मेडल आये हैं।

Paris Paralympics में भारत की प्रीती पाल ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने (टी35) 200 मीटर रेस में ब्रॉन्ज़ मैडल हासिल किया है , इससे पहले भी वे इसी पैरालम्पिक खेलों में 100 मीटर रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं ,इसी के साथ ऐसा करने वाली वह भारत की पहली ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बन गई हैं।

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प्रीति ने अपने शानदार खेल के दम पर जीता ब्रॉन्ज़

प्रीति ने पैरालम्पिक खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया ,उन्होंने अपने शानदार खेल के दम पर पर 30.01 सेकंड में यह उपलब्धि हासिल की. हालांकि वह ज़िया झोउ 28.15 और गुओ कियान (29.09 सेकंड) की चीनी जोड़ी से पीछे रहीं जिन्होंने स्वर्ण और रजत पदक पदक हासिल किया.

इससे पहले शुक्रवार को प्रीति ने महिलाओं की 100 मीटर टी35 में कांस्य पदक जीता था. भारत की होनहार 23 वर्षीय प्रीति ने फाइनल में 14.21 सेकंड का समय निकालकर तीसरा स्थान हासिल किया, जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ भी था. 100 मीटर स्पर्धा में चीन की इसी जोड़ी ने गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल किया. यह जोड़ी 200 मीटर स्पर्धा में भी प्रीति के लिए चुनौती बनी.

भारत ने इससे पहले टोक्यो में हुए पैरालंपिक में कुल 19 मेडल अपने नाम किए थे. इस बार भी भारतीय एथलीट्स पेरिस पैरालम्पिक में उस नंबर को और बड़ा बनाना चाहेंगे. आज हो रहे खेलों में भारत की झोली में करीब 10 मेडल और आ सकते हैं.

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चुनौतीपूर्ण रहा प्रीति का जीवन

पैरालम्पिक खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन दिखाने वाली प्रीति ने एक किसान परिवार में जन्म लिया। प्रीति को जन्म के समय से ही कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके जन्म के बाद छह दिनों तक उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर चढ़ाया गया था. कमजोर पैर और पैर का शेप खराब होने की वजह से उनके बचपन में ही ये साफ हो गया था कि वह जन्म से ही कईं बिमारियों से ग्रस्त थी.

प्रीति ने अपने पैरों को मज़बूत बनाने के लिए काफी उपचार करवाए लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ. पाँच साल की उम्र में उन्हें कैलीपर्स पहनना शुरू करना पड़ा और करीब आठ साल तक उन्होंने कैलीपर्स पहने. बहुत लोगों को तो प्रीती के जिंदा बचने पर भी शक था लेकिन उन्होंने एक योद्धा की तरह हार नहीं मानी और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक हासिल किया.

पहली बार उन्होंने सोशल मीडिया में 17 साल की उम्र में पैरालम्पिक क्लिप देखी तभी से उन्हें पैरा-स्पोर्ट्स में दिलचस्पी हो गई थी। एथलेटिक्स का अभ्यास शुरू करने के कुछ साल बाद उनकी मुलाकात उनकी कोच पैरालंपियन फातिमा खातून से हुई और उन्होंने उनको ट्रेंड कर आगे बढ़ने में मदद की.

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