PM Modi की पोलैंड यात्रा
PM Modi ने आज दो दिवसीय यात्रा के लिए नई दिल्ली से वर्सोवा (पोलैंड ) के लिए उड़ान भरी. वो 21 और 22 अगस्त को पोलैंड में रहेंगे,और उसके बाद 23 अगस्त को ट्रेन से 10 घंटे का सफर तय कर के यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचेंगे, और वहां करीब 7 घंटे रहेंगे। 14 जून 1979 मोरारजी देसाई पोलैंड यात्रा पर जाने वाले आखिरी भारतीय प्रधानमंत्री थे। इसके 45 साल बाद अब मोदी जी वहां जा रहे हैं। इस यात्रा में पूरी दुनिया की नजर है।
भारत और पोलैंड के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध बने हुए हैं। साल 1954 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई और साल 1957 में भारत ने वारसॉ में अपना दूतावास खोला था। पंडित नेहरू की साल 1955 की पोलैंड यात्रा के बाद साल 1979 तक भारतीय नेताओं द्वारा पोलैंड का दौरा नियमित रूप से होता रहा है।
सबसे पहले भारत के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू 25 जून 1955 को पोलैंड गए थे। इसके बाद इंदिरा गांधी 8 अक्टूबर 1967 को पोलैंड यात्रा पर गई थी। फिर मोरारजी देसाई 14 जून 1979 को पोलैंड यात्रा पर जाने वाले आखिरी भारतीय प्रधानमंत्री थे। अब 21 अगस्त 2024 ,पीएम मोदी जी 45 साल बाद वहां जा रहे हैं।
पीएम मोदी जी के कार्यक्रम
सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी का पोलैंड की राजधानी वारसॉ में स्वागत होगा। इसके बाद वे पोलैंड के राष्ट्रपति ऐंड्रेज डूडा से मुलाकात करेंगे और फिर प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड में भारतीय समुदाय के साथ भी मुलाकात करेंगे। पोलैंड में भारतीय समुदाय के 25 हजार लोग रहते हैं। इसमें लगभग पांच हजार छात्र है। प्रधानमंत्री जामनगर और कोल्हापुर के महाराजाओं के स्मारकों का दौरा भी कर सकते हैं।
पोलैंड के राजदूत का बयान
प्रधानमंत्री मोदी के पोलैंड दौरे पर पोलैंड के राजदूत ने कहा कि भारत दुनिया की आवाज है। मोदी की यात्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ताकतवर संदेश देगी कि भारत शांति के पक्ष में हैं.
भारत और पोलैंड के बीच व्यापारिक रिश्ता
भारत का पोलैंड में 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश है. वहीं, पोलैंड का भारत में 685 मिलियन डॉलर का निवेश है।भारत और पोलैंड के बीच 2023 में 5.72 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ है। 2013 से 2023 तक दोनों देशों के बीच 192% व्यापार बढ़ा है। 2023 में भारत ने पोलैंड के साथ 3.95 बिलियन डॉलर का निर्यात और 1.76 बिलियन डॉलर का आयात किया था. भारतीय आईटी कंपनियां पोलैंड में लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देती है।
भारत और पोलैंड का अनोखा संबंध
भारत और पोलैंड के बीच एक अनोखा संबंध 1940 के दशक के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के समय से है, जब पोलैंड की छह हजार से ज्यादा महिलाओं और बच्चों ने भारत की दो रियासतों- जामनगर और कोल्हापुर – में शरण ली थी.उस समय इन दो रियासतो में अकाल पड़ा था। उसके बाद वहाँ के महाराजा ने इनकी मदद की थी। इसलिए आज भी पोलैंड के वारसॉ सिटी काउंसिल ने ओचोटा जिले में अपने शहर के पार्क चौकों में से एक का नाम उनके नाम पर रखा – ‘स्क्वायर ऑफ द गुड महाराजा’