नोएडा घर खरीदने की इच्छा रखने वाले एक-दो नहीं कइयों का बिल्डरों ने ठगने का काम किया है. दरअसल बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को रेंटल स्कीम के तहत घर तो बेच दिया, लेकिन इनको घर मिला ही नहीं. अब ये दर दर भटक रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आरोप है कि बिल्डरों ने रेंटल स्कीम के नाम घर तो बेच दिए लेकिन बायर्स को घर मिले नहीं. अब फ्लैट बायर्स दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है और उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.
स्कीम के तहत बुक किया था फ्लैट
रिपोर्ट के मुताबिक बनारस के एक रहने वाले एक शख्स ने बताया कि उन्होंने 2018 में सुपरटेक इकोविलेज 2 में फ्लैट बुक किया था.यह फ्लैट रेंटल स्कीम के तहत बुक किया गया था. इस स्कीम के तहत बुकिंग के दौरान फ्लैट का 10 फीसदी दाम देना था और उसके बाद एक-एक प्रतिशत के 25 चेक देने थे. इसके बाद बाकी का बचा हुआ पैसा बैंक से लोन लेकर या और किसी भी तरह से दिया जा सकता था. बिल्डर का यह भी कहना था कि रेंटल स्कीम के तहत जब तक घर नहीं बनेगा तब तक आपके फ्लैट का रेंट हम देंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
घर का नामोनिशान नहीं।
कौशल उपाध्याय बताते हैं कि हम अकेले नहीं हैं. हमारे साथ हजारों फ्लैट बायर्स हैं. सुपरटेक इकोविलेज-2 में सबके फ्लैट की कीमत अलग-अलग थी. उसी हिसाब से उसका डाउन पेमेंट और एक प्रतिशत का चेक थे. उसी के हिसाब से रेंटल फ्लैट था. बिल्डर कोई जवाब नहीं देता, पिछले साल अब यह प्रोजेक्ट इंसोल्वेंसी में चला गया है. अब आईआरपी कोई जवाब नहीं देता. वहीं आईआरपी हितेश गोयल और सुपरटेक के डायरेक्टर नितेश अरोरा की तरफ से कोई जवाब मैसेज का नहीं दिया गया.
Noida Authority ने लिया एक्शन।
8 फरवरी को नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ने ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट से जुड़ी पूरी जानकारी अथॉरिटी की साइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे। इस पर ग्रुप हाउसिंग विभाग काम कर रहा है और ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जो बिल्डर अथॉरिटी का बकाया नहीं जमा कर रहे हैं, उन्हें डिफॉल्टर कैटिगिरी में रखा गया है। अभी तक ये बिल्डर अथॉरिटी से स्वीकृत प्रॉजेक्ट बताकर अपने फ्लैट बेच रहे हैं। अगर अथॉरिटी का बकाया जमा नहीं होता तो रजिस्ट्री की मंजूरी नहीं मिल पाती। ऐसे में फ्लैट बायर फंस जाते हैं।