आखिर क्यों भारत ने चांद पर गिराया था अपना स्पेसक्राफ्ट, कैसे पहुंचा था चांद तक तिरंगा, जानिए डिटेल्स

spacecraft

आपकेा बतादें की 22 अक्टूबर 2008 में भारत ने अपना चंद्रमा के लिए अपने मिशन को लाॅन्च कर दिया था. जहंा पर एक और इंग्लैंड के सामने हो रहे मैच में युवराज सिंह ने अपनी बल्लेबाजी से सामने वाली टीम के छक्के छुड़वा दिए थे. वहीं दूसरी तरफ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO भी कुछ बड़ा धमाका करने के लिए तैयार था. आपकेा बतादें की साल 2008 में केवल कुछ ही ऐसे देश थे जो की चांद पर अपने मिशन को कायम कर पांए थे. जिनमें की अमेरिका, रूस, जापान और यूरोप देशों का नाम शामिल है. इस तरह से भारत ने पांचवे नंबर पर अपना चंद्रमा मिशन लाॅन्च किया था.

आपकेा जानकारी दें दे की ये एक टेक्नाॅलाॅजी को प्रदर्शन करने वाला एक मिशन था. जिसनें की चंद्रमा की सतह पर पानी को खोजा था. इसी दौरान भारत ने अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज कर लिया था. आपकेा बतादें की इस मिशन की मदद से भारत को बहुत से लाभ हुए थे. क्योंकि अंतरिक्ष यान के अंदर एक 32 किलोग्राम का प्रोब था. जिसको नष्ट करना भारत की नीति थी. जिसका नाम भारत ने मून इम्पैक्ट प्रोब के नाम से रखा गया.

वहीं 17 नवंबर साल 2008 में की मिशन के लिए बैठे हुए इंजीनियरस नें इस प्रोब को नष्ट करने के लिए कमांड किया. जिसके बाद से चांद की सतह पर एक धमाका हुआ था. चद्रंमा पर 100 किलो मीटर की ऊंचाई से मून इम्पैक्ट मिशन की शुरूआत हुई.

मिशन के दौरान प्रोब चंद्रयान ऑर्बिटर से दूर हो गया था जिसके बाद से ही इसके आॅनबाॅर्ड स्पिन अप राॅकेट इससे दूर हो गए और चंद्रयान मिशन को गाइड करने लगे. जिसक इंजन को इसकी मदद से धीमा कर दिया गया.

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