अंतरिक्ष में भी है कानून की किताब , यहां हथियार ले जाना मना है

Space Law.
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Space Law Book:दुनिया भर में स्पेस मिशन की रेस का प्रबल प्रतिस्पर्धा है, हर साल अनगिनत मिशनों की शुरुआत होती है। कुछ देश मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करते हैं जबकि कुछ ने सूर्य के चारों ओर की परिक्रमा की है। चांद पर भी विभिन्न मिशनों का आयोजन किया गया है, जैसे कि नासा ने 12 बार और सोवियत संघ ने विघटन के बाद बना रूस ने 24 बार मून मिशनों को लांच किया है। ये मिशन न केवल चांद की सतह पर लैंडिंग करने में सफल रहे हैं, बल्कि उनके बाद भी अंतरिक्ष के किसी क्षेत्र पर किसी देश का कब्जा नहीं हो सका है।

यह एक विशेष तरीके से होने वाली अंतरराष्ट्रीय सहमति का परिणाम है जिसने विश्वभर में अंतरिक्ष मिशनों को एक मानकीकरण दिया है। इस समझौते के तहत, देशों को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को एक निरंतरीकरण और सहयोग में रखने का अवसर मिला है। यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष मिशनों में सुरक्षा और सुरक्षा के मानकों का पालन किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की खतरे से बचा जा सके। यह भी दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अंतरिक्ष में सहयोग और समझौते के महत्व को पहचानता है और विभिन्न देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

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1919 में अंतरिक्ष कानून बनाया गया था, जिसके तहत सभी देशों को उनके भौगोलिक क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र की संप्रभुता मिली थी। लेकिन जब स्पेस मिशन शुरू हुए, तो ऐसा समझौता करने की आवश्यकता महसूस हुई, जिसमें सभी देशों को शामिल किया जा सके। 1957 में सोवियत संघ ने अपना पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक-1 लांच किया, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौते की प्रारंभिक शुरुआत की। इससे पहले अंतरिक्ष मिशनों को एक देश के अंतरिक्ष सीमा को पार करने के लिए अनुमति लेनी होती थी। इसके बाद एयरोस्पेस कानून से अलग अंतरिक्ष नियम बनाए गए और 1967 में यह अंतराराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौते के रूप में मान्यता प्राप्त कर लिया गया। भारत भी इस समझौते का हिस्सा बन गया है और उसने भी अपने अंतरिक्ष मिशनों में यह कानून का पालन किया है।

  • 1967 में अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष समझौता के जो पहली शर्त थी वह यह थी कि अंतरिक्ष के किसी भी क्षेत्र पर किसी देश का कब्जा नहीं होगा. समझौते के तहत यूएन के सदस्य देश किसी भी दूसरे देश के बाहरी अंतरिक्ष सीमा का प्रयोग कर सकते हैं
  • अंतरिक्ष मिशनों के साथ हथियार नहीं ले जाए जा सकते हैं, खास तौर से ऐसे हथियार को जनसंहार या सामूहिक विनाश करने वाले हों
  • इस समझौते में रेस्क्यू एग्रीमेंट को प्रमुखता दी गई, इसके तहत सभी राष्ट्रों का पहला दायित्व अपने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा है, यदि कोई मिशन संकट में पड़ता है तो सभी देश मदद करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने का प्रयास करेंगे
  • यूएन महासभा में एक और प्रमुख नियम जो लागू किया गया वह था कि यदि किसी देश के स्पेस मिशन से अंतरिक्ष में किसी अन्य देश के मिशन का नुकसान होता है तो संबंधित देश उत्तरदायी होगा और मुआवजा भी देगा.
  • समझौते के तहत अंतरिक्ष में यातायात को सामंजस्यपूर्ण बनाने के नियम भी बनाए गए हैं, जिसके तहत सभी देशों को एक-दूसरे का सहयोग करना होगा, ताकि स्पेस मिशनों के बीच में टकराव न हों.
  • अंतरिक्ष में प्रदूषण के लिए स्पेस में मिशन भेजने वाले सभी देशों को काम करना होगा. यह तय करना होगा कि अंतरिक्ष से जो सेटेलाइट या रॉकेट के अवशेष गिरें उससे किसी तरह की हानि न हो.

1979 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक विशेष मून एग्रीमेंट बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य था कि अंतरिक्ष को कमर्शियल उद्योग के लिए कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इस समझौते से चीन और रूस ने भी सहमति दी थी, लेकिन उनका तर्क था कि अमेरिका के पास अंतरिक्ष के नियम बनाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

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