अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने दावा किया है कि चीनी सैन्य अधिकारियों को ताइवान पर आक्रमण करने की तैयारी करने का आदेश दिया गया है। सीआईए के इस दावे से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ गई है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग फिलहाल ताइवान पर हमला करने से डर रहे हैं। सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की हालत देखते हुए चीन को अपनी क्षमता पर फिलहाल संदेह हो रहा है।
2027 में चीन कर सकता है ताइवान पर हमला
सीआईए चीफ ने बर्न्स ने कहा, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना को 2027 तक ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि चीन ने ताइवान पर 2027 या किसी अन्य वर्ष में सैन्य आक्रमण करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, यूक्रेन में रूस का हाल देखकर चीनी राष्ट्रपति को संदेह है कि क्या वे ताइवान में अपने आक्रमण को पूरा कर सकते हैं। सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स ने कहा कि सीआईए में हमारा आकलन है कि मैं ताइवान के संबंध में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षाओं को कम नहीं आंकूंगा।
हो सकता है तीसरा विश्व युद्ध
अगर चीन ने ताइवान पर आक्रमण किया तो अमेरिका सीधे तौर पर हस्तक्षेप करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कम से कम दो बार बोल चुके हैं कि ताइवान पर आक्रमण हुआ तो अमेरिका सशस्त्र हस्तक्षेप करेगा। इसके लिए अमेरिकी सेना को ताइवान भी भेजा जाएगा। उधर चीन बोल चुका है कि वह ताइवान पर कब्जे के लिए किसी भी कीमत को चुकाने को तैयार है। ऐसे में अगर ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में युद्ध होता है तो इसमें नाटो का शामिल होना निश्चित है। नाटो के युद्ध में कूदते ही रूस भी चीन की तरफ से युद्ध में शामिल हो सकता है। इससे पूरी दुनिया तीन ध्रुवों में बंट जाएगी।
क्या है चीन-ताइवान विवाद ?
ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। ताइवान और चीन 1949 में एक गृहयुद्ध के बाद विभाजित हो गए थे। 1979 में, राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने औपचारिक रूप से बीजिंग में सरकार को मान्यता दी और ताइवान के साथ संबंधों को समाप्त कर दिया था। ताइवान की वन मेजर कंपनी दुनिया के आधे से अधिक चिप का उत्पादन करती है। इसी वजह से ताइवान की अर्थव्यस्था दुनिया के लिए काफी मायने रखती है।