धूमावती जयंती आज। महाविद्या की पूजा से दूर होते हैं रोग, दरिद्रता।

dhumavati

सनातन धर्म में धूमावती जयंती का बेहद ही खास महत्व होता है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। माँ धूमवती माता पार्वती का अत्यंत रुद्र रूप है, ये 10 महाविद्याओं में से अंतिम विद्या है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से रोग, कष्ट और दरिद्रता समाप्त होती है। कहा जाता है कि सुहागिन महिलाओं को मां धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए।

जानिए कैसे करें मां धूमवती की पूजा?

दरअसल, इस साल धूमावती जयंती 28 मई 2023 को मनाई जा रही है. वहीं, मां धूमावती की जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाएं. इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से साफ कर माता की तस्वीर पर जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप चढ़ाएं. इसके बाद मां धूमावती की कथा पढ़ें और लोगों को सुनाएं।

शिव को निगल गईं थी मां धूमावती

धार्मिक मान्यता है कि मां धूमवती को उग्र स्वभाव का माना जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि एक बार कैलाश पर्वत पर मां पार्वती को भूख लगी तो इस पर उन्होंने शिव जी से कुछ खाने की इच्छा जताई. चूंकि, शिव जी समाधि में लीन थे. ​इस दौरान उन्होंने कई बार निवेदन किया लेकिन शिव जी की समाधि नहीं टूटी. इस दौरान मां पार्वती ने गुस्से में शिव जी को ही निगल लिया था।

 रोग, दरिद्रता होती है दूर।

मान्यता है कि मां धूमावती की पूजा आमतौर पर तंत्र साधना के लिए की जाती है. इन्हें मां पार्वती का उग्र स्वरूप भी माना जाता है.जबकि,गुप्त नव​रात्रि में माता की विशेष रूप से पूजा होती है. मां धूमावती की पूजा करने से जातक को विपत्ति से छुटकारा, रोग खत्म करने, युद्ध में जीत दर्ज करने के लिए की जाती है.कहा जाता है कि माता धूमावती की आशीर्वाद जिस पर बना रहे उसके जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती. मगर,मां रूठ जाएं तो उसे राजा से रंक बना देती हैं.

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