हर साल की तरह इस साल भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जा रहा है। इस बार जहां एक तरफ भारत होली के रंग में रंगा हुआ है तो दूसरी तरफ भारत समेत पूरी दुनिया बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने वाली है। हर साल 8 मार्च को ही इस दिन को क्यों सेलिब्रेट किया जाता है। अगर आप भी इन सवालों के जवाब से अनजान हैं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं महिली दिवस के इतिहास और इससे जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में-
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल आठ मार्च को मनाया जाता है। साल 1917 में रूसी महिलाओं ने रोटी और शांति की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन के साथ किया था। इस विरोध प्रदर्शन की वजह से तत्कालीन रूसी जार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी दिया। जिस दिन रूसी महिलाओं ने इस प्रदर्शन की शुरुआत की थी, वह दिन रूसी कैलेंडर के हिसाब से 23 फरवरी था। यदि इस तारिख को ग्रेगॉरियन कैलेंडर के हिसाब से देखा जाए तो वह दिन आठ मार्च का था। तब से इसी दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का नाम दिया गया।
इस दिन को मनाने का खास मकसद समाज में महिलाओं को बराबरी को हक दिलाना है। साथ ही इसका उद्देश्य हर एक महिला को उनका हक दिलाना भी है। साथ ही किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से भी इस दिवस को मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के अधिकारों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें जागरुक करने के मकसद से कई कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं।
महिला दिवस 2023 की थीम
यूनाइटेड नेशन की तरफ से जब 8 मार्च को महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी, तो इसे एक खास थीम के साथ मनाया गया था। जब पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, तो इसकी थीम ‘सेलिब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर’ रखी गई थी। वहीं, बात करें इस साल की थीम की, तो इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए थीम “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” (DigitALL: Innovation and technology for gender equality) तय की गई है।
महिला दिवस क्यों है महत्वपूर्ण
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को बराबर का दर्जा प्राप्त करवाना है, जिससे उन्हें किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए। उनके साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए। इस खास अवसर पर महिलाओं के अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं। हाल के कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर, नॉन-बाइनरी और जेंडर नॉन-कन्फर्मिंग लोगों के लिए अधिक समावेशी बनाने पर जोर दिया गया है।
महिला दिवस को प्रदर्शित करने वाले रंग।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन के मुताबिक़, “बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है. हरा रंग उम्मीद का रंग है. सफ़ेद रंग को शुद्धता का सूचक माना गया है. ये तीनों रंग 1908 में ब्रिटेन की वीमेंस सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन (डब्ल्यूएसपीयू) ने तय किए थे.”