21वीं साड़ी में आधुनिक खेती में पारंपरिक खेती से ज्यादा कमाई है जिस वजह से आज के किस पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं वहीं आज हम बात करने वाले हैं हिंग की खेती की. देशभर में हींग की डिमांड हर महीने रहती है जिसकी वजह से इसकी खेती करने में वृद्धि होती है और भारी मुनाफा भी होता है.
हींग की खेती कैसे करें?
- मौसम और मिट्टी: हींग की खेती के लिए गर्म और शुष्क मौसम उपयुक्त होता है. हींग की खेती के लिए रेतीली और दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.
- बीजाई: हींग के बीजों को जून-जुलाई में बोया जाता है. बीजों को 1-2 सेमी की गहराई में और 30-40 सेमी की दूरी पर बोया जाता है.
- सिंचाई: हींग की खेती के लिए नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है.
- उर्वरक: हींग की खेती के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का उपयोग किया जाता है.
- कीट और रोग प्रबंधन: हींग की खेती में कीटों और रोगों से बचाव के लिए कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग किया जाता है.
- कटाई: हींग की खेती के 6-8 महीने बाद कटाई की जाती है। कटाई के समय पौधों की पत्तियों को सुखाया जाता है और फिर हींग के दाने निकाले जाते हैं.
भारत सरकार द्वारा हींग की खेती के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
MSP का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करना है, ताकि वे अपनी फसलों का सही मूल्य प्राप्त कर सकें और अपनी खेती को स्थिर बना सकें.हींग की खेती में किसानों को हींग (Heeng): ₹ 8,000 – ₹ 10,000 प्रति क्विंटल मिलता है.
हींग के मुख्य उत्पादक देश:
हींग का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है.भारत हींग का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में की जाती है. ईरान हींग का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां इसकी खेती मुख्य रूप से कhorasan और yazd प्रांतों में की जाती है. अफगानिस्तान हींग का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां इसकी खेती मुख्य रूप से हेरात और काबुल प्रांतों में की जाती है.तुर्कमेनिस्तान हींग का एक अन्य उत्पादक देश है, जहां इसकी खेती मुख्य रूप से मरी और तुर्कमेनाबात प्रांतों में की जाती है. और पाकिस्तान हींग का एक छोटा उत्पादक देश है, जहां इसकी खेती मुख्य रूप से सिंध और पंजाब प्रांतों में की जाती है.