हर साल नवरात्री में देवी बदलती है अपना अकार, जानिए रहस्यमयी मंदिर की कहानी

09 10 2021 08mor 14

Mata Bahraari Temple : नवरात्री का पर्व शुरू हो गया है और शेरावाली अपने भक्तों के बुलाने पर ना आएं ऐसा हो नहीं सकता। आप आज भी इसका प्रमाण कई मंदिरों में देख सकते हैं जहाँ देवी माँ अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होती हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें कि यह पांडवों की कुल देवी का मंदिर बताया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में देवी मां की मूर्ति पूरे साल सामान रहती है लेकिन नवरात्रि के दौरान मूर्ति हर दिन धीरे-धीरे अपने आकार को बढ़ाती है। इतना ही नहीं नौवें दिन मूर्ति गर्भगृह से बाहर भी आ जाती है।

आपको बता दें कि यह मंदिर मुरैना के पास कैलारस-पहाड़गढ़ मार्ग पर पहाड़ों के बीच स्थित है। इस मंदिर में विराजित जिन्हें ‘मां बहरारे वाली माता’ के नाम से जाना जाता है। माँ बहारारे की प्रतिमा नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान सच में हर दिन अपना अकार बदलती है। साथ ही नवमी के दिन मूर्ति गुफा से बाहर भी आ जाती है। इस मंदिर की दिलचस्प कहानी भी है – पुराणों के अनुसार माना जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां अपनी कुलदेवी की पूजा की थी। जिसके बाद पूजा के दौरान कुलदेवी एक विशाल चट्टान में समा गईं थी।

images 2 2 edited

स्थानियों के मुताबिक ” उन्होंने मंदिर के पत्थर को मूर्ति में बदलने की कोशिश की, लेकिन उनकी सारी कोशिशें व्यर्थ गईं।बताया जाता है कि पांडव ही देवी मां को यहां लाए थे और उनका अभिषेक किया था। वर्ष 1152 में यहां घना जंगल था। उस वक्त विहारी नामक एक स्थानीय निवासी ने बहरारा की स्थापना की थी । फिर 1621 में खंडेराव भगत ने भरारा माता का मंदिर बनवाया था। तभी से लोग मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं। देवी मां के सुंदर स्वरूप का दर्शन करने के लिए देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं। वासंतिक और शारदीय नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर मंदिर में मेला भी लगता है।

कथा के अनुसार पांडवों ने अपनी कुल देवी को पूजा-भक्ति से प्रसन्न किया। देवी ने अर्जुन को वरदान दिया, लेकिन अर्जुन ने वरदान की जगह देवी से वनवास के वर्षों के दौरान वह उनके साथ रहने को कहा। हालाँकि, देवी ने एक शर्त राखी थी कि अर्जुन उन्हें यात्रा के दौरान पीछे मुड़कर न देखें। लेकिन अर्जुन यह देखने की इच्छा को नहीं रोक सके कि क्या देवी अभी भी उनका पीछे आ रही है, इसलिए अर्जुन जैसे ही पीछे मुड़े और देवी एक चट्टान में बदल गईं। तब से, पांडवों ने इस चट्टान के रूप में देवी की पूजा की, जो एक पवित्र तालाब वाले मंदिर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब का पानी पीने से पाप धुल जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home
Google_News_icon
Google News
Facebook
Join
Scroll to Top